कोविड-19 के प्रकोप के कारण हुई आकस्मिकता को ध्यान में रखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र, भाकृअनुप-भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ, उत्तर प्रदेश ने लखनऊ शहर, उत्तर प्रदेश में शहरियों को ताजे फल और सब्जियों की आपूर्ति के लिए एक किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) शुरू किया है। इस पहल का उद्देश्य उद्यमिता विकसित करके किसानों की आय को बढ़ाना भी है। लॉकडाउन के दौरान लखनऊ के लोगों को ताजे फल और सब्जियाँ उपलब्ध कराने के विचार की संकल्पना के बाद डॉ. ए. डी. पाठक, निदेशक, भाकृअनुप-आईआईएसआर ने एक एफपीओ शुरू करने की राय दी जो वर्तमान संकट में किसानों के हितों के साथ-साथ शहरी उपभोक्ताओं की सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित कर सकता है।


लखनऊवासियों को ताजा फल और सब्जियाँ प्रदान करने की पहल के साथ कार्यप्रणाली शुरू करने के लिए केवीके, भाकृअनुप-आईआईएसआर के वैज्ञानिकों की मदद से एक व्हाट्सएप ग्रुप लखनऊ जिले के कई किसानों को शामिल करने के लिए बनाया गया था। संस्थान ने श्री मुकेश को 01 अप्रैल, 2020 से प्रतिदिन फलों और सब्जियों की आपूर्ति शुरू करने के लिए प्रोत्साहित किया। गाँवों से फलों और सब्जियों को लखनऊ शहर में ले जाने के लिए केवीके के वैज्ञानिकों ने जिला प्रशासन से कोविड-19 वाहन पास की व्यवस्था की। एक बार जब यह प्रक्रिया सफलतापूर्वक शुरू हो गई तो उपभोक्ताओं ने व्हाट्सएप ग्रुप पर अपनी मांग भेजना शुरू कर दिया और श्री मुकेश कुमार ने संबंधित उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं के अनुसार पैकेट बनाकर इन वस्तुओं की आपूर्ति शुरू कर दी। उपभोक्ताओं से अनुरोध किया गया कि वे संस्थान के कॉलोनी गेट से फल व सब्जियों के पैकेट एकत्रित कर जी पे, पेटीएम, फोन पे व ऑनलाइन बैंकिंग आदि के माध्यम से भुगतान को कैशलेस बनाएँ।
लॉकडाउन के दूसरे चरण में केवीके, भाकृअनुप-आईआईएसआर, लखनऊ और कृषि विभाग, लखनऊ ने श्री मुकेश को एक एफपीओ - नवज्योति किसान उत्पादक संगठन के साथ जोड़ा। श्री मुकेश कुमार और श्री शिव कुमार दोनों ने संयुक्त रूप से लखनऊ शहर के विभिन्न रिहायशी इलाकों में मोबाइल वाहनों के माध्यम से ताजे फलों और सब्जियों का विपणन शुरू किया। उन्होंने एफपीओ के सदस्य किसानों के खेतों से रोजाना ताजे फल और सब्जियां खरीदीं और उचित ग्रेडिंग और स्वच्छता बनाए रखने के बाद उपरोक्त वस्तुओं को टोकरी में रखकर इसकी आपूर्ति सुनिश्चित की। वे लखनऊ शहर के अलग-अलग स्थानों पर रोजाना मौसमी फलों जैसे तरबूज, खरबूजा आदि के साथ ताजी मौसमी और विदेशी सब्जियों की आपूर्ति करते थे। दोनों रोजाना करीब 250 से 300 परिवारों को ताजे फल और सब्जियों की आपूर्ति करते हैं। इस प्रक्रिया ने युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने के साथ-साथ उत्पादक किसानों और शहरी उपभोक्ताओं को भी लाभान्वित किया।
इस नाजुक स्थिति में बिना किसी बिचौलिए की भागीदारी के किसानों को अपनी उपज लाभकारी कीमतों पर बेचने का मौका मिला। इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप जहाँ युवाओं को अपनी आय का अच्छा स्रोत मिला वहीं शहरी उपभोक्ताओं को उनके द्वार पर वास्तविक कीमतों के साथ स्वच्छ परिस्थितियों में ताजे फल और सब्जियों की आपूर्ति हुई।
प्रतिदिन 25 हजार रुपए से 30 हजार रुपए तक का भुगतान करके दोनों एफपीओ सदस्य किसानों से करीब 13.50 से 15.0 क्विंटल ताजे फल और सब्जियाँ खरीदते हैं। उन्हें प्रतिदिन औसतन 31,000 रुपए से 37,500 रुपए का सकल लाभ मिलता है। फलों और सब्जियों की खरीद, मजदूरों की मजदूरी, वाहन और अन्य विविध खर्च आदि पर होने वाला कुल दैनिक खर्च 28,500 रुपए और 33,700 रुपए के बीच होता है।
इस प्रणाली से न केवल दोनों युवाओं को 2,500 रुपए से 3,800 रुपए प्रतिदिन तक की शुद्ध आय होती है, बल्कि वे किसानों को उनके खेतों में ही उनकी उपज का लाभकारी मूल्य देने के अलावा अपने गाँव के 10 अन्य युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने में भी सफल रहे हैं।
उनकी सफलता से प्रेरित होकर अन्य गाँवों के किसान भी केवीके, भाकृअनुप-आईआईएसआर, लखनऊ की मदद से इस प्रकार के एफपीओ बनाने के लिए आगे आ रहे हैं, ताकि वे भी अपनी आय सृजन के लिए उद्यमिता का विकास कर सकें।
(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ, उत्तर प्रदेश)
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