2nd अप्रैल 2016, लखनऊ, उत्तर प्रदेश
श्री राजनाथ सिंह, माननीय केन्द्रीय गृह मंत्री ने लखनऊ स्थित कृषि विज्ञान केन्द्र में 'प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना पर एक दिवसीय जागरूकता कार्यक्रम का उद्घाटन किया। इस कार्यक्रम को भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी), कानपुर के सहयोग से भाकृअनुप- भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान, लखनऊ के साथ मिलकर आयोजित किया गया था।
अपने उद्घाटन सम्बोधन में माननीय केन्द्रीय गृह मंत्री ने बताया कि प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना के तहत देश के 100 जिलों को लक्षित किया गया है और वर्ष 2016 के अंत तक इन जिलों की सिंचाई योजना को अंतिम रूप दे दिया जाएगा। इसी प्रकार सूखा तथा सूखा संवेदनशील क्षेत्रों को बाढ़ का फालतू पानी उपलब्ध कराने के लिए नदी जोड़ो योजना को मजबूती प्रदान की जाएगी। उन्होंने पुन: बताया कि किसानों के खेतों पर मृदा के स्वास्थ्य को सुधारने के प्रति सरकार प्रतिबद्ध है जिसका पता इस बात से चलता है कि मार्च 2016 तक लगभग एक करोड़ मृदा स्वास्थ्य कार्ड किसानों को बांटे जा चुके हैं और वर्ष 2017 तक इसकी संख्या बढ़ाकर 9 करोड़ तक करने की योजना है। प्रधान मंत्री फसल बीमा योजना की मुख्य विशेषताओं पर प्रकाश डालते हुए माननीय केन्द्रीय गृह मंत्री ने बताया कि अपनी फसलों का बीमा कराने के लिए किसानों को पहली बार बहुत ही कम प्रीमियम अदा करना होगा जो कि खरीफ फसलों के लिए 2 प्रतिशत, रबी फसलों के लिए 1.5 प्रतिशत और व्यावसायिक/बागवानी फसलों के लिए 5 प्रतिशत है। प्रीमियम की शेष राशि का भुगतान सरकार द्वारा किया जाएगा।
माननीय मंत्री महोदय ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के संस्थानों तथा अन्य एजेन्सियों द्वारा प्रदर्शनी में लगाये गये स्टॉलों का भी अवलोकन किया और वैज्ञानिकों व विकास अधिकारियों से विचार विमर्श किया।
कार्यक्रम के सम्माननीय अतिथि एवं मोहनलालगंज संसदीय क्षेत्र के माननीय सांसद श्री कौशल किशोर ने फसलों की स्थानीय रूप से अनुकूलनीय किस्मों को बढ़ावा देने पर बल दिया। साथ ही उन्होंने बेहतर मृदा स्वास्थ्य और अधिक फार्म आमदनी के लिए किसानों से जैविक खेती को बढ़ावा देने की अपील की।
अपनी छोटी कृषिजोत से आकर्षक लाभ अर्जित करने में असाधारण योगदान करने वाले चार प्रगतिशील किसानों जिनमें दो महिलाएं भी शामिल थीं, को मुख्य अतिथि द्वारा पं. दीन दयाल अंत्योदय किसान सम्मान प्रदान कर सम्मानित किया गया।
डॉ. ए.डी. पाठक, निदेशक, भाकृअनुप-आईआईएसआर, लखनऊ ने संस्थान की उल्लेखनीय उपलब्धियों पर प्रकाश डाला और मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरण, मेरा गांव मेरा गौरव योजना, कौशल उद्यमशीलता विकास कार्यक्रम आदि जैसे विभिन्न प्रसार गतिविधियों के माध्यम से गन्ना उत्पादकों के उत्थान के प्रति संस्थान की प्रतिबद्धता दर्शाई।
डॉ. यू.एस. गौतम, निदेशक, भाकृअनुप- अटारी, कानपुर ने स्थान विशिष्ट प्रौद्योगिकियों के प्रदर्शन और उन्हें प्रचलित करने तथा साथ ही किसानों के क्षमता निर्माण में उत्तर प्रदेश के कृषि विज्ञान केन्द्रों की महत्वपूर्ण भूमिका की संक्षिप्त जानकारी दी। उन्होंने यह भी बताया कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अन्य अग्रिम पंक्ति प्रसार एवं शैक्षणिक कार्यक्रम नामत: फार्मर फर्स्ट, आर्या, स्टूडेन्ट रेडी आदि को उत्तर प्रदेश राज्य में प्रारंभ किया जा रहा है।
इस अवसर पर एक किसान सम्मेलन और खरीफ-पूर्व कार्यशाला भी आयोजित की गई जिसमें 4000 से भी अधिक किसानों ने भाग लिया।
(स्रोत : भाकृअनुप–कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी), कानपुर)
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