भाकृअनुप-शीतजल मात्स्यिकी अनुसंधान निदेशालय (डीसीएफआर), भीमताल द्वारा ट्राउट एवं कार्प पालन तथा स्वास्थ्य प्रबंधन की आधुनिक तकनीकी के विषय पर पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में उत्तराखण्ड के मत्स्यपालन विभाग के 12 जिलों चमोली, रूद्रप्रयाग, टिहरी गढ़वाल, पिथौरागढ़, उधमसिंह नगर, हरिद्वार, पौड़ी गढ़वाल, देहरादून, नैनीताल, अल्मोड़ा, उत्तरकाशी, बागेश्वर से कुल 17 अधिकारी, प्रशिक्षणार्थी के तौर पर शामिल हुए।

संस्थान के निदेशक, डॉ. प्रमोद कुमार पाण्डेय ने वैज्ञानिक विधि से मत्स्य पालन को बढ़ावा देने एवं कृषकों के मध्य इसका प्रचार-प्रसार लिए प्रशिक्षुओं को प्रेरित किया। इस प्रेरणा से उत्तराखण्ड में मत्स्य पालन व्यवसाय और अधिक टिकाऊॅ व उत्पादकता से पूर्ण हो। उन्होंने कहा कि पुनर्जल परिसंचरण प्रणाली (आएएस) तकनीक द्वारा कम जगह एवं कम पानी में अधिक मछली उत्पादन कर किसान व उद्यमी मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं। साथ ही आरएस के माध्यम से मछली को काफी कम पानी (100-1000 लीटर पानी प्रति किलो मछली) और कम भूमि के साथ उच्च घनत्व में पालन किया जा सकता है।

प्रशिक्षण कार्यक्रम के उद्घाटन के दौरान मत्स्य पालन विभाग के उपनिदेशक, प्रमोद कुमार शुक्ला ने अधिकारियों को संबोधित करते हुए प्रशिक्षण का पूर्ण रूप से लाभ लेने के लिए प्रेरित किया और सभी से अपील की कि फील्ड में आने वाली समस्याओं के निदान हेतु वैज्ञानिकों से गहन संवाद स्थापित कर इनका समाधान खोजने का प्रयास करे। श्री शुक्ला ने कहा कि संस्थान द्वारा इस तरह के कार्यक्रमों के आयोजन से नई तकनीकों का प्रचार-प्रसार मत्स्य पालको के मध्य आसानी से किया जा सकेगा।
प्रशिक्षण के मुख्य समन्वयक, प्रधान वैज्ञानिक, डॉ सुरेश चन्द्रा ने प्रशिक्षणार्थीयो का स्वागत करते हुए आग्रह किया की आधुनिक मत्स्य पालन की बारिकियों को समझकर कुषकों के हित में कार्य करें। उन्होंने उत्तराखंड मत्स्य विभाग के प्रशिक्षण को शीतजल मात्स्यिकी अनुसंधान निदेशालय भीमताल में आयोजित करने के लिए आभार व्यक्त किया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में मत्स्य अधिकारियों को आरएएस, रेन्बो ट्राउट में संक्रामक रोग एवं प्रबंधन, सजावटी मछली पालन, मछली हेतु उत्तम फीड (चारा), रेन्बो ट्राउट, महाशीर और कार्प का प्रजनन तथा बीज उत्पादन, आजीविका एवं आय सृजन हेतु एकीकृत मछली पालन, जल गुणवत्ता आकलन का महत्व जैसे विभिन्न विषयों पर संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की गई।
प्रशिक्षण में प्रतिभाग कर रहे अधिकारियों ने इस प्रशिक्षण को अत्यंत लाभप्रद बताया। कार्यक्रम का समन्वयन, डॉ सुरेश चंद्रा, डॉ एस.के. मलिक, डॉ आर.एस. टंडेल एवं डॉ रेनू जेठी, द्वारा किया गया।
(स्रोतः भाकृअनुप-शीतजल मात्स्यिकी अनुसंधान निदेशालय, भीमताल)
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