8 – 17 फरवरी, 2016, हिसार
भाकृअनुप – राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र, हिसार में दिनांक 8 – 17 फरवरी, 2016 को ‘ग्लैडर्स: घोड़े के छूत रोग की निगरानी एवं नैदानिकी’ पर एक अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला का प्रयोजन कम्प्लीमेन्ट फिक्सेशन टेस्ट तथा अप्रत्यक्ष एलाइजा जैसे ग्लैंडर्स की सेरोलॉजीकल नैदानिकी के क्षेत्र में व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रदान करना और साथ ही ग्लैंडर्स की निगरानी के लिए ग्लैंडर्स रोग वाले देशों के बीच एक नेटवर्क बनाना था।
इस कार्यशाला का आयोजन भाकृअनुप – राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र, हिसार द्वारा फ्रेडरिक लोफलर इस्टिटयूट, फेडेरल रिसर्च इन्स्टिटयूट फॉर एनीमल हैल्थ, जैविक संक्रमण एवं प्राणिरूजा संस्थान, जेना, जर्मनी (पैतृक प्रयोगशाला) के साथ मिलकर किया गया।
डॉ. इन्द्रजीत सिंह, निदेशक, भाकृअनुप –केन्द्रीयभैंस अनुसंधान संस्थान, हिसार ने कार्यशाला का उद्घाटन किया और ग्लैंडर्स की प्रणालीबद्ध निगरानी की जरूरत पर बल दिया।
डॉ. बी.एन. त्रिपाठी, निदेशक, भाकृअनुप – राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र, हिसार ने संस्थान की मुख्य उपलब्धियों पर संक्षिप्त जानकारी दी।
प्रो. हेनरिक न्यूबॉयर, पशु स्वास्थ्य के लिए फेडरल अनुसंधान संस्थान, जैविक संक्रमण तथा प्राणिरूजा संस्थान, जेना, जर्मनी ने ग्लैंडर्स के ग्लोबल परिदृश्य को प्रस्तुत किया।
बिग्रेडियर एस.एस. कश्यप, कमांडेंट, इक्वाइन ब्रीडिंग स्टड, हिसार ने प्राणिरूजा महत्व को देखते हुए तथा साथ ही दक्षिण एशिया और मध्य पूर्व में इस रोग की मौजूदगी को देखते हुए ऐसी कार्यशाला के आयोजन का महत्व बताया।
कार्यशाला के दौरान ग्लैंडर्स पर एक प्रशिक्षण नियमावली तथा वीडियो डॉक्यूमेन्टरी जारी की गई।इस कार्यशाला में श्रीलंका, नेपाल, पाकिस्तान, भूटान, बांग्लादेश, अफ्गानिस्तान, ईरान प्रत्येक से एक-एक प्रतिभागी और भारत से आठ प्रतिभागियों ने भाग लिया।
(स्रोत : भाकृअनुप – राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र, हिसार)
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