भाकृअनुप – भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान (IISWC), देहरादून में छ: राज्यों (पंजाब -2; छत्तीसगढ़ – 8; नगालैण्ड – 2; केरल – 4; उत्तराखंड – 2; महाराष्ट्र – 5; तथा भाकृअनुप – भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान (IISWC), देहरादून से 2) से जुड़े 25 अधिकारियों के लिए ‘मृदा एवं जल संरक्षण तथा जलसंभर प्रबंधन’पर प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम के 4 माह (8 अक्तूबर, 2015 से 7 फरवरी, 2016) वाले नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम के 113 वें बैच को प्रारंभ किया गया।
प्रशिक्षण पाठ्यक्रम तथा विभिन्न प्रशिक्षण माडयूल्स के बारे में उन्मुखता जानकारी दी गई। डॉ. चरण सिंह, प्रभारी अध्यक्ष (एचआरडी एवं एसएस) तथा डॉ. बांके बिहारी, प्रधान वैज्ञानिक, भाकृअनुप – भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, देहरादून ने प्रशिक्षुओं को विभिन्न प्रशिक्षण मॉडयूल्स तथा व्याख्यात्मक एवं व्यावहारिक कक्षाओं के बारे में जानकारी दी। इस पाठ्यक्रम में, मृदा एवं जल संरक्षण इंजीनियरिंग; भूमि अपघटन को नियंत्रित करने के लिए मृदा प्रबंधन; संरक्षित वानिकी; संरक्षित सस्यविज्ञान; तथा समेकित जलसंभर प्रबंधन – दिशानिर्देश एवं प्रक्रियाएं जैसे विषयों को शामिल किया जाना है। भागीदारी समेकित जलसंभर प्रबंधन पर फोकस किया जाएगा तथा विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार की जाएगी। इसके अलावा, अधिकारियों को प्रशिक्षित करने हेतु रिमोट सेन्सिंग, जीपीएस, जीआईएस तथा अन्य नवीनतम तकनीकों के बारे में बताया जाएगा। पाठ्यक्रम के दौरान स्थानीय जलसंभर परियोजना अभ्यास आयोजित किए जाएंगे।
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