आईसीएआर - भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, देहरादून द्वारा पांच दिवसीय (26-30 जुलाई, 2016) को समेकित जलभरण प्रबंधन पर वरिष्ठ स्तर के कृषि अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण पाठ्यक्रम का आयोजन किया गया। यह प्रशिक्षण पाठ्यक्रम कृषि विस्तार प्रबंधन (इमेज) संस्थान, सिरपुर, भुबनेश्वर द्वारा आयोजित किया गया तथा कृषि एवं खाद्य उत्पादन निदेशालय, भुबनेश्वर, ओडिशा के वित्तीय सहयोग से प्रायोजित किया गया था।
डॉ. पी.के. मिश्रा, निदेशक, आईसीएआर- आईआईएसडब्ल्यूसी ने समापन कार्यक्रम में कहा कि ‘प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई)’ आजीविका के लिए की जाने वाली खेती को व्यावसायिक खेती में बदलने के लिए एक शक्तिशाली कार्यक्रम सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि सूक्ष्म सिंचाई जैसी उन्नत सिंचाई विधियों द्वारा अनमोल जल को बचाने के साथ ही फसलों की उत्पादकता भी बढ़ती है। डॉ. मिश्रा ने कहा कि एकीकृत जलग्रहण प्रबंधन कार्यक्रम पीएमकेएसवाई कार्यक्रम का एक हिस्सा है। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि यह योजना वर्षा आधारित क्षेत्रों में सुरक्षात्मक सिंचाई प्रणाली विकसित करने में बड़ी भूमिका अदा करेगी।
प्रशिक्षण के पाठ्यक्रम में एकीकृत जलभरण प्रबंधन दृष्टिकोण, मानचित्र अध्ययन, चित्रण व जलभरण चित्रण, जलभरण मूल्यांकन, जलभरण योजना में रिमोट सेंसिंग और जीआईएस के प्रयोग शामिल हैं। इसके अलावा प्रशिक्षण कार्यक्रम में संस्थान के संग्रहालय, अनुसंधान क्षेत्र, सेलाकुल, भागीदारी जल संसाधन प्रबंधन परियोजना, लांघा और मसूरी के निकट सैंजी जलभरण स्थलों के दौरे भी शामिल थे। दौरों का उद्देश्य वास्तविक क्षेत्र स्थितियों से प्रतिभागियों को अवगत कराना और विषय संबंधी अंतर्दृष्टि विकसित करना था।
ओडिशा के 11 जिलों से 19 अधिकारियों ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया।
(स्रोतः डॉ. लखन सिंह, प्रमुख (एचआरडी एंड एसएस), भाकृअनुप – भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, देहरादून)
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