9 अगस्त, 2016
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन (एनएफएसएम) - वाणिज्यिक फसल, कृषि सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग और कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के द्वारा ‘जूट/ मेस्टा/ रेमे/ सनई के अपगलन व उत्पादन’ पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम भाकृअनुप - राष्ट्रीय जूट एवं संबद्ध रेशा प्रौद्योगिकी (एनआईआरजेएएफटी), कोलकाता में आयोजित किया गया।
डॉ. पी.के. दास, पूर्व प्रोफेसर, बीसीकेवी, कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ने अपने संबोधन में रेशा फसलों के उत्पादन एवं कटाई उपरांत प्रसंस्करण से जुड़े मुद्दों के बारे में जानकारी दी।
डॉ. के. मनोहरन, निदेशक, जूट विकास निदेशालय ने सम्मानित अतिथि के रूप में इस प्रकार के उपयोगी प्रशिक्षण कार्यक्रम के संचालन के लिए भाकृअनुप- एनआईआरजेएएफटी की प्रशंसा की।
डॉ. एस.के. बिस्वास, पूर्व निदेशक, जूट विकास निदेशालय ने सम्मानित अतिथि के रूप में अपने संबोधन में जूट एवं संबद्ध रेशा फसलों की वर्तमान स्थिति एवं भविष्य की आवश्यकताओं पर संक्षिप्त जानकारी दी।
डॉ. जी. राय, निदेशक (कार्यवाहक) ने मूल्य संवर्धन और जूट और संबद्ध रेशा क्षेत्र में उत्पाद विविधीकरण की आवश्यकता के बारे में जानकारी दी।
पश्चिम बंगाल, बिहार, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश और त्रिपुरा के विभिन्न जूट उगाने वाले जिलों से पच्चीस प्रशिक्षुओं ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।
(स्रोत: आईसीएआर-राष्ट्रीय जूट एवं संबद्ध रेशा प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान, कोलकाता)
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