चेन्नई, 18 अगस्त 2016
भारतीय झींगा जलजीव पालन क्षेत्र ने प्रशांत सफेद झींगा पीनियस वेनामी के पालन की शुरूआत के बाद से हाल के वर्षों में शानदार वृद्धि हासिल की है। इसके विपरीत झींगे में पाए जाने वाले एंटीबायोटिक अपशिष्ट के कारण इसके निर्यात की अस्वीकृति से जुड़ी समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। भाकृअनुप - केन्द्रीय लवणीय जल एवं जलजीव पालन संस्थान (सीबा) द्वारा संस्थान के मात्स्यिकी स्वास्थ्य पर राष्ट्रीय नेटवर्क साझेदारों के साथ इस मुद्दे से जुड़ी समस्या को सुलझाने के लिए कदम उठाया गया है। जागरूकता प्रसार के उद्देश्य से सीबा में 18 अगस्त, 2016 को इस कार्यशाला का आयोजन किया गया। डॉ. बसंत कुमार दास (निदेशक, सीआईएफआरआई), मुख्य अतिथि, ने किसानों और हितधारकों के लिए इस कार्यशाला का उद्घाटन किया। अपने संबोधन में उन्होंने इस मुद्दे पर संस्थानों की अनुसंधान भूमिका के बारे में जानकारी दी।
डॉ. दास ने जोर देकर कहा कि एंटीबायोटिक दवाओं के उचित उपयोग करने की अवधि की जानकारी आवश्यक है। साथ ही उन्होंने एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग को कम करने के लिए वैकल्पिक रणनीतियों के अपनाने की बात कही। निदेशक, सीएफआरआई ने झींगे की निर्यात अस्वीकृति को स्वीकृत कराने की दिशा में आवश्यक वैश्विक मानदंड की स्थापना की बात कही। इस उद्देश्य हेतु निर्यात क्षेत्र, झींगा पालकों और सभी हितधारकों को आवश्यक कदम उठाने के लिए आमंत्रित किया।
डॉ. के.के. विजयन (निदेशक, सीबा) ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में संस्थान व अन्य संबंधित भाकृअनुप संस्थानों में स्थापित विश्वस्तरीय सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए हितधारकों को आमंत्रित किया।
श्री वी. बालासुब्रमण्यम (झींगा किसान संघ एसोसिएशन के अध्यक्ष) ने हितधारकों की अवधारणा पर प्रस्तुति देने के साथ ही सहकारिता और एंटीबायोटिक अपशिष्ट की समस्या के समाधान के लिए आश्वस्त किया।
श्री इलियास सैत, महासचिव, समुद्रीखाद्य निर्यातक संघ, भारत (एसईएआई) ने अपने संबोधन में एंटीबायोटिक अपशिष्ट के बारे में जानकारी दी और प्रत्येक स्तर पर इसके निपटारे के लिए संघ की जिम्मेदारियों एवं भूमिका के बारे में बताया।
अन्य प्रतिनिधियों ने भी एंटीबायोटिक प्रयोग की हानियों और संतुलित प्रयोग जैसे मुद्दों के बारे में राष्ट्रीय स्तर की जागरूकता योजना बनाने पर सहमति व्यक्त की।
इस कार्यक्रम को किसानों, एनएफडीबी, पीएफएफआई, एसईएआई एंड एसएपी, हैचरी संचालकों, परामर्शदाताओं, हितधारकों एवं उद्यमियों ने सकारात्मक एवं उपयोगी बताया।
(स्रोतः भाकृअनुप – सीबा, चेन्नई)
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