नगापट्टिनम जिले में झींगा किसानों के लिए जलजीव पालन स्वास्थ्य शिविर

नगापट्टिनम जिले में झींगा किसानों के लिए जलजीव पालन स्वास्थ्य शिविर

नगापट्टिनम, 19 अगस्त, 2016

नगापट्टिनम जिले में झींगा किसानों के लिए जलजीव पालन स्वास्थ्य शिविर

नगापट्टिनम के किसानों को झींगे की उभरती बीमारियों, रोग नियंत्रण रणनीतियों एवं बेहतर प्रबंधन विधियों (बीएमपीएस) को अपनाकर झींगा उत्पादन करने व अन्य समस्याओं के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से ‘जलजीव पालन स्वास्थ्य शिविर’ का आयोजन 19 अगस्त, 2016 को किया गया। भाकृअनुप – केन्द्रीय खारा जलजीव पालन संस्थान के जलजीव स्वास्थ्य एवं पर्यावरण संभाग द्वारा झींगा पालकों हेतु ‘जलजीव स्वास्थ शिविर’ को जलीय जीवों की बीमारियों के लिए राष्ट्रीय निगरानी योजना (एनएसपीएएडी) के अंतर्गत गांव – चिन्नाथूम्बर, तमिलनाडु में आयोजित किया गया।

इस शिविर में झींगे की प्रमुख बीमारियों जैसे सफेद धब्बा बीमारी (डब्ल्यूएसडी) एवं इंटेरोकाइटोजून हेपाटोपेनाई (ईएचपी) की जांच पीसीआर – डीएनए परीक्षण के माध्यम से निःशुल्क की गई। इसके साथ ही किसानों के तालाबों की मिट्टी-पानी की जांच रेडोक्स पोटेंशियल, पीएच-मान, लवणता, क्षारीयता, कठोरता आदि 12 मानदंडों पर किया गया। तालाब पारिस्थितिकी तंत्र और उपचार उपायों की आवश्यकता सहित झींगा के स्वास्थ्य पर एक समेकित रिपोर्ट सभी किसानों को निःशुल्क वितरित की गई। किसानों ने वैज्ञानिकों के साथ झींगे की ईपीएच एवं ह्वाइट फिएसेस सिंड्रोम की समस्या पर बातचीत की। किसानों को एक्यूट हेपाटो-पैंक्रिएटिक नेक्रोटिक सिंड्रोम के बारे में भी जानकारी दी गई जिसके कारण दक्षिण - पूर्वी एशियाई देशों में जलजीव पालक किसानों को काफी नुकसान हो चुका है। झींगा पालकों के लिए काफी नुकसानदायक सफेद धब्बा बीमारी से निपटने के लिए जैव सुरक्षा नियमों एवं बेहतर प्रबंधन पद्धतियों पर जोर दिया गया। इसी क्रम में वैज्ञानिकों द्वारा झींगापालन हेतु मृदा एवं जल गुणवत्ता प्रबंधन पर जोर देते हुए पर्यावरण को उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण बताया गया। झींगा आयात करने वाले अमेरिका व यूरोपीय यूनियन के अन्य देशों में झींगे में एंटीबायोटिक संबंधित उच्च स्तरीय मानदंड़ों का पालन किया जाता है। उन मानदंड़ों के अनुरूप ‘झींगा पालन में एंटीबायोटिक अपशिष्ट’ पर भी चर्चा की गई। इसके साथ ही झींगा पालन में एंटीबायोटिक निषेध एवं अन्य आदानों के उचित प्रयोग की बात कही गई। इस अवसर पर किसानों को जागरूक बनाने के लिए तमिल में लिखे पैम्प्लेट का सेट भी वितरित किया गया।

55 स्थानीय किसानों, मात्स्यिकी विभाग, तमिलनाडु के अधिकारियों और एनएसीएसए और एमपीईडीए के क्षेत्रीय समन्वयकों ने इस कार्यक्रम में भाग लिया।

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