5 नवम्बर, 2016, कोलकाता
भाकृअनुप - केन्द्रीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर द्वारा राष्ट्रीय जलजीव रोग निगरानी और मेरा गांव मेरा गौरव कार्यक्रमों के तहत मात्स्यिकी स्वास्थ्य जागरूकता शिविर का आयोजन मात्स्यिकी विभाग, कोलकाता के सहयोग से पूर्वी कोलकाता के बंटाला गांव में किया गया।
पूर्वी कोलकाता, रामसर क्षेत्र, अपशिष्ट जल में मछली पालन के लिए प्रसिद्ध है लेकिन यहां की मछलियों को गंभीर रोग होने की आशंका बनी रहती है जिससे मछली पालकों को गंभीर नुकसान हो सकता है। मछली स्वास्थ्य के बारे में जागरूकता फैलाने तथा टिकाऊ आजीविका और पोषण सुरक्षा सुरक्षित करने के उद्देश्य से जागरूकता शिविर आयोजित किया गया था।
डॉ. बी.के. दास, निदेशक, सीआईएफआरआई ने अपने संबोधन में मछली स्वास्थ्य के लिए बेहतर प्रबंधन और उत्पादकता के लिए चारा विधियों को लागू करने के लिए किसानों से आग्रह किया।
डॉ. प्रियांशी, पर्यावरणविद्, अंतरराष्ट्रीय जल प्रबंधन संस्थान ने नमीयुक्त क्षेत्रों में मछुआरा समुदाय के लिए आजीविका सुरक्षित करने के लिए प्राकृतिक और मानव निर्मित परिवर्तन को समझने के महत्व पर बल दिया।
डॉ. वी.वी. सदामते, पूर्व सलाहकार, नीति आयोग ने अपने संबोधन में इस बात पर बल दिया कि किसान और अनुसंधानों के बीच दूरी को कम करने के लिए इस प्रकार की विस्तार गतिविधियों को बढ़ाना चाहिए।
कार्यक्रम में चार प्राथमिक मछुआरा सहकारिता सोसाइटी के सदस्यों तथा 70 मछुआरों ने भाग लिया जिसमें 9 महिलाएं थी।
(स्रोतः भाकृअनुप – केन्द्रीय अंतःस्थलीय मात्स्यिकी अनुसंधान संस्थान, बैरकपुर)
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