22 नवंबर, 2016, मेघालय
भाकृअनुप- राष्ट्रीय मिथुन अनुसंधान केन्द्र, मेद्जीफेमा, नगालैंड तथा केवीके, ईस्ट खासी हिल जिला, मेघालय द्वारा संयुक्त रूप से दो दिवसीय (21-22 नवम्बर, 2016) ‘वैज्ञानिक विधि द्वारा मिथुन पालन पर किसान-वैज्ञानिक संवाद व जागरूकता कार्यक्रम’ का आयोजन मावफ्लांग गांव, अपर सिलांग, ईस्ट खासी हिल जिला में किया गया। इस कार्यक्रम का उद्देश्य मेघालय में मिथुन (बोस फ्रॉन्टालिस) पालन संबंधी संभावनाओं की तलाश करना था।
श्री केनेडी सी. कैरिम, विधायक, मावफ्लांग ने अपने संबोधन में कहा कि इस प्रकार के कार्यक्रम से स्थानीय समुदायों में वैकल्पिक आजीविका के रूप में मिथुन पालन को अपनाने संबंधित जागरूकता पैदा होगी। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिक मिथुन पालन से किसानों की आजीविका में सुधार के साथ ही वन क्षेत्रों के कायाकल्प में भी सहयोग प्राप्त होगा।
डॉ. अभिजीत मित्रा, निदेशक, भाकृअनुप- एनआरसीएम ने अपने स्वागत भाषण में संस्थान के शासनादेश तथा विभिन्न पहलों और विकसित प्रौद्योगिकियों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मिथुन ‘प्राकृतिक माली’ होते हैं जो वन के पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण में मदद करते हैं तथा इनसे मांस, दूध के साथ ही आमदनी भी प्राप्त होती है।
श्री एल. ब्लाह, एमडीसी, मावफ्लांग ने भी कार्यक्रम में भाग लिया।
कार्यक्रम के दौरान भाकृअनुप संस्थानों, केवीके तथा राज्य सरकार के विभागों द्वारा किसानोपयोगी प्रौद्योगिकियों का भी प्रदर्शन किया गया।
भाकृअनुप संस्थानों तथा राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों और निदेशकों ने कार्यक्रम में भाग लिया।
कार्यक्रम में लगभग 150 किसानों ने भाग लिया।
(स्रोतः राष्ट्रीय मिथुन अनुसंधान केन्द्र, मेद्जीफेमा)
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