15 मार्च, 2022, करनाल
केन्द्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान, करनाल ने जिला कृषि एवं किसान कल्याण विभाग, करनाल, हरियाणा सरकार के साथ मिलकर विशाल खरीफ किसान मेले का आयोजन, दिनांक 15 मार्च, 2022 को किया।
श्री संजीव वर्मा (भा. प्र. से.) आयुक्त, करनाल मंडल द्वारा मेले का उद्घाटन किया गया।
डा. प्रबोध चन्द्र शर्मा, निदेशक, केन्द्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान, करनाल ने समारोह की अध्यक्षता की। निदेशक ने मुख्य अतिथियों तथा समारोह के दूसरे हितधारकों का स्वागत करते हुए संस्थान की गतिविधियों एवं उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इस संस्थान ने अब तक 2.14 मिलियन हेक्टेयर भूमि का सुधार किया है। इसके साथ-साथ संस्थान की तकनीकियों का उपयोग करते हुए हरियाणा सरकार अपनी नई नीति के अनुसार एक लाख एकड़ भूमि को सुधारने का कार्य ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से कर रही है। डॉ. शर्मा ने कहा कि संस्थान द्वारा 100 गांव गोद लिये गये हैं जिनमें कल्लर भूमि के सुधार हेतु विकसित तकनीकियों का सक्रिय स्थनांतरण के साथ किसानों के विभिन्न पहलुओं को समझने का कार्य चल रहा है, संस्थान द्वारा किसान महिलाओं के लिए 4 स्वयं सहायता समूह भी बनाए गए हैं।
मुख्य अतिथि श्री संजीव वर्मा ने अपने संबोधन भाषण में मिश्रित एवं परमपरागत खेती पर जोर दिया जिससे कि मनुष्य के स्वास्थ्य के साथ-साथ पर्यावरण की सम-गतिशीलता भी बनी रहती है। उन्होंने संस्थान के विभिन्न प्रदर्शनी स्टालों का दौरा किया, साथ ही संस्थान के विभिन्न प्रभागों द्वारा चलाई जा रही अनुसंधान परियोजनाओं का निरीक्षण करके उनकी सराहना की। श्री वर्मा ने, राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे, कृषकोन्मुखी कृषि विकास की विभिन्न योजनाओं से अवगत कराया उनका मानना है कि इससे कृषकों की आजीविका में वृद्धि होगी। उन्होंने 16 अनुसूचित जाति के किसानों को मृदा स्वास्थ्यवर्धक इनपुट का वितरण किया।
विशिष्ट अतिथि डा. गुरबचन सिंह, अध्यक्ष जी.एस.एफ.आर.ई.डी. ने अपने संबोधन में कहा कि बहुउद्देशीय कृषि प्रणाली से किसान की आमदनी चार गुना तक बढ़ सकती हैं तथा इससे कम जोत वाले किसानों की जीविका का जोखिम भी कम किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि ऐसे कार्यों को बढ़ाने के लिये विविध हितधारकों के साथ मिलकर कार्य करने से हम कृषकों को ज्यादा लाभ पहुंचा सकते हैं।
दूसरे विशिष्ट अतिथि डा. शुभ्रा चक्रवर्ती, निदेशक, एन.आई.पी.जी.आर. ने कहा कि महिलाओं की कृषि में सार्थक भूमिका को देखते हुए उन्हें ज्यादा प्रशिक्षित करने की जरूरत है जिससे कि भारत के आत्मनिर्भर मिशन में वे दलहन के उत्पादन को बढ़ाकर पोषण सुरक्षा में अपना योगदान दे सकें।
किसान मेले के सह-आयोजक डा. आदित्य प्रताप डबास, जिला कृषि उपनिदेशक ने कहा कि, सरकार के कार्यक्रमों द्वारा, किसानों को पराली जलाने के दुष्परिणाम का ज्ञान हो गया है। डॉ. डबास ने कहा कि किसान अपनी पराली जलाने के बजाए सरकार की नई नीति का लाभ उठाते हुए उसको पंचायती जमीन में ही भंडारण कर सकते हैं, या पराली को रु. 2800/प्रति टन पर बिकी भी कर सकते है।
किसान मेले में सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं सहित कुल 50 हितधारकों ने अपनी तकनीकियों का प्रदर्शन किया तथा कुल 1800 स्कूली छात्रों, महिला एवं पुरुष किसानों ने भाग लिया। मेले में किसान प्रश्नोत्तरी कार्यक्रम के आयोजन के साथ-साथ विजेता एवं कुल 26 उत्कृष्ट कृषकों को पुरस्कृत किया गया।
(स्रोत: केन्द्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान, करनाल)
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