30 दिसंबर, 2018, उत्तराखंड
भाकृअनुप-शीतजल मात्स्यिकी अनुसंधान निदेशालय, भीमताल, उत्तराखंड द्वारा आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण-सह-उन्मुखीकरण कार्यशाला “पूर्वी हिमालयी क्षेत्र में ट्राउट मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए फीड निर्माण, तैयारी और प्रदर्शन” का आज सफलतापूर्वक समापन हुआ।
कार्यशाला का आयोजन 29 से 30 दिसंबर, 2018 तक दिरांग में भाकृअनुप-राष्ट्रीय याक अनुसंधान केंद्र, दिरांग, अरुणाचल प्रदेश और मत्स्य विभाग, अरुणाचल प्रदेश सरकार, के सहयोग से किया गया था।
श्री अडोंग पर्टिन, अतिरिक्त उपायुक्त, पश्चिम कामेंग, अरुणाचल प्रदेश ने इस अवसर पर कार्यशाला में मुख्य अतिथि के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। इस अवसर पर डॉ. पी. चक्रवर्ती, निदेशक, राष्ट्रीय याक अनुसंधान केंद्र; श्री तेनजिंग जाम्बे, सी. ओ., दिरांग; डॉ. एन. डी. सिंह, प्रमुख, कृषि विज्ञान केंद्र, दिरांग; डॉ. एच. कलिता, जे. डी., भाकृअनुप-उत्तरपूर्वी पर्वतीय क्षेत्र, बसर और श्री त्यागी यंगम, डी. डी. एफ. विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
डॉ. देबजीत सरमा, निदेशक, भाकृअनुप-शीतजल मात्स्यिकी अनुसंधान निदेशालय, भीमताल ने राष्ट्रीय याक अनुसंधान केंद्र के सहयोग से अरुणाचल प्रदेश में ट्राउट फीड मिल की स्थापना पर जोर दिया। उन्होंने यह भी कहा कि यह उद्यम राज्य में ट्राउट उत्पादकों के लिए फायदेमंद होगा।
कार्यशाला के दौरान, “इंद्रधनुष ट्राउट पोषण और आहार” पर एक तकनीकी बुलेटिन भी जारी किया गया। शीतजल मात्स्यिकी अनुसंधान निदेशालय ने स्टार्टर तैयार किया और किसानों को ट्राउट आहार भी वितरित किया।
कार्यशाला में तवांग, पश्चिम कामेंग और दिबांग घाटी के जिलों से कुल 200 मत्स्य किसान शामिल हुए, जिनमें पहाड़ी क्षेत्रों की महिला मत्स्य किसान भी शामिल थीं।
(स्रोत: भाकृअनुप-शीतजल मात्स्यिकी अनुसंधान निदेशालय, भीमताल, उत्तराखंड)
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