भाकृअनुप-केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान, करनाल में स्वर्ण जयंती अंतर्राष्ट्रीय लवणता सम्मेलन का हुआ समापन

भाकृअनुप-केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान, करनाल में स्वर्ण जयंती अंतर्राष्ट्रीय लवणता सम्मेलन का हुआ समापन

9 फरवरी, 2019, करनाल

भाकृअनुप-केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान, करनाल में आयोजित स्वर्ण जयंती अंतर्राष्ट्रीय लवणता सम्मेलन (GJISC - 2019) का आज समापन हुआ।

Golden Jubilee International Salinity Conference at ICAR-CSSRI-Karnal concludes  Golden Jubilee International Salinity Conference at ICAR-CSSRI-Karnal concludes

यह सम्मेलन 7-9 फरवरी, 2019 तक परिसर में आयोजित किया गया था।

प्रो. रमेश चंद, सदस्य, नीति आयोग, ने मुख्य अतिथि के तौर पर अपने संबोधन में आईसीएआर-सीएसएसआरआई की पाँच दशकों की शानदार यात्रा की सराहना की, जिसने पर्यावरणीय रूप से कठोर परिस्थितियों में लगभग 2.14 मिलियन हेक्टेयर नमक प्रभावित क्षेत्र का उत्पादक के रूप में उपयोग किया है।

प्रो. चंद ने यह भी उल्लेख किया कि यद्यपि आईसीएआर-सीएसएसआरआई कृषि लवणता प्रबंधन में वैश्विक तौर पर अग्रणी है, लेकिन इसकी शानदार उपलब्धियों से अजागरूकता नहीं आनी चाहिए; विशेष रूप से तब जब प्राकृतिक संसाधन समय के साथ तीव्र दर से सिकुड़ रहा है जबकि भोजन की मांग बढ़ने के साअथ-साथ विविध हो रही है।

उन्होंने मृदा की प्रतिरोधक्षमता और फसल उत्पादकता को बढ़ाने के लिए कचरे को धन में बदलने के सभी संभव प्रयास (यानी नगरपालिका के ठोस कचरे को खाद में बदलना) करने का भी आग्रह किया। उन्होंने किसानों के क्षेत्र में बेहतर प्रौद्योगिकियों को त्वरित और प्रभावी ढंग से प्रसारित करने के लिए अनुसंधान संस्थानों और कृषि विज्ञान केंद्रों के बीच साझेदारी को और मजबूत करने पर जोर दिया।

डॉ. एस. के. चौधरी, अतिरिक्त महानिदेशक (एस डब्ल्यू एम), भाकृअनुप, नई दिल्ली ने इससे पहले भाकृअनुप-केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान द्वारा अनुप्रयुक्त अनुसंधान में किए गए उत्कृष्ट योगदान की सराहना की, जिसमें जिप्सम आधारित पैकेज और नमक सहिष्णु खेती जैसी प्रौद्योगिकियों का भारी प्रभाव पड़ा है। उन्होंने मृदा माइक्रोबियल विविधता, जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों पर अधिक ध्यान देने और लवण विकास के लिए जमीन और सतह के पानी के सापेक्ष योगदान पर ध्यान देने पर भी जोर दिया।

डॉ. पी. सी. शर्मा, निदेशक, भाकृअनुप-सीएसएसआरआई, करनाल और अध्यक्ष, आईएसएसएसडब्ल्यूक्यू (ISSSWQ) ने अपने स्वागत भाषण में कहा कि उप-सतही जल निकासी और भूमि को आकार देने वाली प्रौद्योगिकियों का बड़े पैमाने पर प्रचार, कई तनाव सहने वाली फसल की खेती का विकास और उप-सतह के सोडिक का प्रबंधन और संरक्षण आधारित कृषि के माध्यम से पुन: प्राप्त होने वाले सोडिक क्षेत्रों में उच्च पीएच आने वाले वर्षों में लवणता अनुसंधान का प्रमुख केंद्र होगा।

इस अवसर के दौरान कुछ प्रकाशनों के विमोचन के साथ जीजेआईएससी-2019 (GJISC-2019) के विभिन्न तकनीकी सत्रों की अन्य सिफारिशें भी प्रस्तुत की गईं।

17 देशों, सीजीएआईआर (CGAIR) संस्थानों, भाकृअनुप संस्थानों, एसएयू (SAUs), राज्य लाइन विभागों और किसानों के कुल 275 प्रतिनिधियों ने इस आयोजन में अपनी भागीदारी दर्ज की।

यह सम्मेलन नाबार्ड, इंडियन ऑयल (पानीपत रिफाइनरी), रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड और रेक्स पॉलीएक्सट्रूसन प्राइवेट लिमिटेड द्वारा प्रायोजित किया गया था।

(स्रोत: भाकृअनुप-केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थानकरनाल)

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