श्री नरेंद्र सिंह तोमर, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री के मुख्य आतिथ्य में आज एन ए ए सी परिसर, नई दिल्ली में कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों का वार्षिक सम्मेलन का आयोजन हुआ।
श्री तोमर ने इस मौके पर कहा कि कृषि शिक्षा का बहुविषयक, बहुआयामी और व्यापक होना देश की प्रगति के लिए अति आवश्यक है। उन्होंने कृषि क्षेत्र को उन्नत व रोजगारोन्मुखी बनाने में नई शिक्षा नीति की महत्त्वपूर्ण भूमिका का जिक्र किया। मंत्री ने कृषि शिक्षा प्राप्त करने वालों से आग्रह किया कि वे शिक्षा एवं अनुसंधान के साथ-साथ खेती की ओर प्रवृत होकर कृषि-क्षेत्र के विकास में अपना योगदान दें। उन्होंने अपने संबोधन में विश्वविद्यालय की प्रगति और सफलता में कुलपतियों के अनुभव व उनके योगदान की सराहना की।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में भा.कृ.अनु.प. ने पिछले 7 वर्षों के दौरान कुल 1,656 नए फसल की किस्मों का ईजाद किया है जिसका प्रतिफल पूरे देश को मिल रहा है। उन्होंने भा.कृ.अनु.प. द्वारा विकसित प्रौद्योगिकियों, उन्नत बीज, उर्वरक, कीटनाशकों आदि का भी जिक्र किया और कहा कि देश के किसान निश्चित तौर पर इससे लाभान्वित हो रहे हैं। उन्होंने कम पानी और समय अनुकूल उत्पादन लायक बीजों के ईजाद पर ज़ोर देते हुए कहा कि कृषि के प्रगति के लिए क्षेत्र एवं जलवायु के अनुकूल बीजों का विकास जरूरी है।
श्री तोमर ने कहा कि कृषि-हितैषी योजनाएँ, किसानों की कड़ी मेहनत और वैज्ञानिकों द्वारा विकसित उन्नत तकनीकी का ही योगदान है कि आज दुनिया के खाद्यान आवश्यकताओं को पूरा करने में भी भारत आगे विराजमान है। उन्होंने कहा कि उत्पादन व उत्पादकता को बढ़ाकर कृषि की प्रगति दर को तेज करने तथा किसानों को सशक्त बनाने की दिशा में वर्तमान सरकार द्वारा अनेक व्यापक योजनाओं को जमीनी तौर पर क्रियान्वित किया गया है।
इस दौरान भा.कृ.अनु.प. के प्रकाशनों के विमोचन के साथ-साथ चार अलग श्रेणियों के पुरस्कार का वितरण भी किया गया।
इस मौके पर बतौर सम्मानित अतिथि, श्री कैलाश चौधरी, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री तथा सुश्री शोभा करान्दलाजे, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री भी मौजूद रहे।
डॉ. त्रिलोचन महापात्र, सचिव (कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग) एवं महानिदेशक (भा.कृ.अनु.प.) ने अगले सत्र में कहा कि भा.कृ.अनु.प. द्वारा विकसित और प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा विमोचित 35 नए फसल की किस्मों को अपनाने से किसान लाभान्वित होंगे। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन से आनेवाली चुनौतियों में नई बीमारियों व नए कीटों की संभावनाएँ हैं। इन चुनौतियों से निपटने में भा.कृ.अनु.प.-राष्ट्रीय जैविक स्ट्रैस प्रबंधन संस्थान, रायपुर मददगार साबित होगा। आगे उन्होंने कहा कि जलवायु सहिष्णु कृषि तकनीकों एवं पद्धतियों के व्यापक अभियान कार्यक्रम में प्रधानमंत्री के संबोधन को केवीके के माध्यम से देश के लाखों किसानों ने सुना, जो निश्चित तौर पर उनके लिए लाभदायक साबित होगा।
श्री संजय गर्ग, अतिरिक्त सचिव (कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग) एवं सचिव (भा.कृ.अनु.प.) ने गणमान्य अतिथियों का आभार व्यक्त किया।
डॉ. आर. सी. अग्रवाल, उप महानिदेशक (शिक्षा), भा.कृ.अनु.प. ने कृषि शिक्षा एवं अनुसंधान के क्षेत्र में परिषद तथा कृषि विश्वविद्यालयों के अभूतपूर्व योगदान व उपलब्धियों को रेखांकित किया। अपने संबोधन में गणमान्य अतिथियों का स्वागत करते हुए उन्होंने कार्यक्रम के बारे में विस्तृत जानकारी दी।
इस कार्यक्रम में कृषि विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, भाकृअनुप के उप महानिदेशकों, भाकृअनुप और एनएएचईपी शिक्षा प्रभाग के वरिष्ठ अधिकारियों सहित केवीके के अधिकारियों, छात्रों और किसानों ने आभासी तौर पर भाग लिया।
(स्त्रोत: भा.कृ.अनु.प.-कृषि ज्ञान प्रबंध निदेशालय, नई दिल्ली)
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