4 जनवरी, 2024, बारुईपुर
भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता के अधिकार क्षेत्र के तहत सस्य श्यामला कृषि विज्ञान केन्द्र (एसएसकेवीके), रामकृष्ण मिशन विवेकानन्द शैक्षिक एवं अनुसंधान संस्थान द्वारा आज पश्चिम बंगाल के दक्षिण 24 परगना जिले के बारुईपुर ब्लॉक के गांव मऊतला में केन्द्र सरकार के प्रमुख कार्यक्रम ‘प्राकृतिक खेती’ पर एक क्षेत्र दिवस-सह-जागरूकता अभियान का आयोजन किया गया।
मुख्य अतिथि, डॉ. प्रदीप डे, निदेशक, अटारी, कोलकाता ने अपने संबोधन में कहा कि प्राकृतिक खेती पारिस्थितिक रूप से समन्वयित खेती है, जो पर्यावरणीय प्रबंधन को बढ़ावा देने, सुरक्षित और पौष्टिक भोजन का उत्पादन सुनिश्चित करने तथा जैव विविधता का संरक्षण करने नें मदद करती है। उन्होंने प्राकृतिक खेती के चार स्तंभों की व्याख्या करते हुए किसानों के लिए लंबे समय तक आर्थिक लाभ प्राप्त करने के लिए सिंथेटिक इनपुट तथा महंगी प्रौद्योगिकियों पर निर्भरता को कम करने पर जोर दिया। डॉ. डे ने एसएसकेवीके की उपलब्धियों तथा जिले के लगभग हर कोने में प्राकृतिक कृषि पद्धतियों को आगे बढ़ाने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना की।
डॉ. अथोई गुप्ता, एडीए, पश्चिम बंगाल सरकार ने एसएसकेवीके के साथ व्यापक सहयोग के लिए कृषि विभाग की प्रतिबद्ध को रेखांकित किया। उन्होंने उचित पोषण प्राप्त करने तथा रोगों की रोकथाम के लिए प्राकृतिक खेती के महत्व को उजागर किया।
डॉ. एन.सी. साहू, प्रमुख (एसएसकेवीके) ने अपने संबोधन में बताया कि प्राकृतिक खेती सिंथेटिक रसायनों, कीटनाशकों एवं उर्वरकों के उपयोग को कम करती है, जिससे मिट्टी, पानी और वायु प्रदूषण कम होता है।
डॉ. ए. घोषाल, विषय वस्तु विशेषज्ञ (पौधा संरक्षण), एसएसकेवीके ने प्राकृतिक खेती के लिए बीजामृत, जीवामृत, नीमास्त्र, ब्रह्मास्त्र, अग्निस्त्र की तैयारी और अनुप्रयोग के बारे में विस्तार से बताया।
इस कार्यक्रम में विभिन्न प्रकाशन का विमोचन किया गया। गांव में प्राकृतिक खेती के प्रदर्शन स्थल के दौरे के क्रम में वहां के प्रगतिशील किसानों ने प्राकृतिक खेती के बारे में अपने अनुभव भी साझा किए।
150 से अधिक किसानों ने इस कार्यक्रम में शिरकत की।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, कोलकाता)
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