श्रीमती ओमाना कैथककुल्लथ, जिन्हें केरल के कालीकट जिले के पेरम्बरा ब्लॉक के चेम्पोनोडा गांव में 'अदरक महिला' के नाम से जाना जाता है, की अदरक की खेती में विशेष रूचि है। चार वर्ष पहले इन्होंने भा.कृ.अ.प. – कृषि विज्ञान केन्द्र, पेरूवनामुझी, कालीकट जिले की तकनीकी सहायता से इस क्षेत्र में प्रवेश किया था। ये जैविक खेती की विधियों का उपयोग करके पटसन के बोरों में अदरक उगाती हैं। ये पटसन के बोरों को जमीन पर रखकर 2.5 सैंट में फैलाती हैं। इससे जमीन बेकार नहीं जाती है। श्रीमती ओमाना के अनुसार ये पौदों को पूर्व तैयार ट्रे (नारियल की जटाओं, सूखे गोबर और ट्राइकोडर्मा से भरी हुई) का उपयोग करती हैं जिसमें एक अंकुर युक्त 5 ग्राम भार के कटे हुए प्रकंदों को रखा जाता है और इस प्रकार श्रेष्ठ बीज सामग्री से शुरूआत की जाती है। धूप, सिंचाई जल की भरपूर उपलब्धता तथा खादों का समय पर उपयोग अदरक की बेहतर बढ़वार के लिए प्राथमिक शर्तें हैं।
अदरक की किस्म आईआईएसआर वरदा को 300 बोरों में मई 2015 के दूसरे सप्ताह में बोया गया तथा जनवरी 2016 के अंतिम सप्ताह में फसल ली गई। उन्होंने इस मौसम के दौरान 4 किलो रोपण सामग्री से 108 कि.ग्रा. ताजी अदरक प्राप्त की। प्रत्येक बीज का भार 20 ग्रा.था। फील्ड स्तर के प्रशिक्षण, आवधिक भ्रमणों, गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री और कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों द्वारा उन्हें प्रदान की गई विपणन संबंधी सहायता से उन्हें अदरक की सफल कटाई में सहायता प्राप्त हुई।
अब वे कृषि विज्ञान केन्द्र में साथी किसानों की प्रशिक्षक भी बन गई हैं। उन्होंने काली मिर्च, विभिन्न अंतर फसलों, फलों की खेती भी की है। श्रीमती ओमाना शोभाकारी मछलियों, केंचुओं तथा अनेक पक्षियों को भी कृषि विज्ञान केन्द्र, कालीकट के मार्गदर्शन और सुधार के अनुसार पाल रही हैं। उन्होंने 'जायफल के छिलके की कैंडी', ''गैरीसीनिया छिलके का पेस्ट' और 'सूखी अदरक' जैसे नवीन व सफल मूल्यवर्धित मसाला उत्पाद भी तैयार किए हैं।
(स्रोत भा.कृ.अ.प. – भारतीय मसाला अनुसंधान संस्थान, कोझीकोड)
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