अगली पीढ़ी की कृषि पर राष्ट्रीय सम्मेलन

अगली पीढ़ी की कृषि पर राष्ट्रीय सम्मेलन

28- 30 जनवरी 2024, जबलपुर

अगली पीढ़ी की कृषि-जैविक तथा प्राकृतिक खेती के रास्ते: विस्तार रणनीतियाँ और दृष्टिकोण पर तीन दिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ एक्सटेंशन एजुकेशन, नागपुर, भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जबलपुर तथा जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्व विद्यालय द्वारा संयुक्त रूप से 28-30 जनवरी, 2024 तक जबलपुर में किया गया।

मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. एस.के. चौधरी,  उप-महानिदेशक (एनआरएम) ने मिट्टी को समृद्ध करने में जैविक और प्राकृतिक खेती के महत्व पर जोर दिया।

National Conference on Next-Generation Agriculture  National Conference on Next-Generation Agriculture

समापन सत्र के दौरान डॉ. यू.एस. गौतम, उप-महानिदेशक (कृषि विस्तार) ने कहा कि जैविक तथा प्राकृतिक खेती पारंपरिक ज्ञान एवं संस्कृति पर आधारित है। इसकी खेती के तरीके, अद्वितीय जैव-भौतिकीय और सामाजिक-आर्थिक बाधाओं का जवाब देते हुए स्थानीय वातावरण से मेल खाने के लिए विकसित होते हैं। उन्होंने प्रौद्योगिकी वितरण तंत्र से संबंधित शोध योग्य मुद्दों में विस्तार वैज्ञानिकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।

इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ एक्सटेंशन एजुकेशन नागपुर, महाराष्ट्र के अध्यक्ष, प्रो. के. नारायण गौड़ा ने प्रतिभागियों को सम्मेलन के विषय तथा समाज की पहल के बारे में जानकारी दी।

डॉ. सी.के. टिंबाडिया, कुलपति, गुजरात नेचुरल फार्मिंग साइंस यूनिवर्सिटी, गुजरात ने भारत में प्राकृतिक खेती की स्थिति और प्राकृतिक खेती में स्नातक पाठ्यक्रमों को लागू करने के लिए विश्वविद्यालय द्वारा की गई पहल के बारे में जानकारी दी।

डॉ. पी. चंद्र शेखर, महानिदेशक, मैनेज, हैदराबाद ने कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा की गई पहल और क्षमता निर्माण और प्राकृतिक खेती के लिए जागरूकता कार्यक्रम में मैनेज की पहल "प्राकृतिक खेती प्रबंधन और ज्ञान पोर्टल पर राष्ट्रीय मिशन" के बारे में बात की।

प्रो. पी.के. मिश्रा, जेएनकेवीवी, जबलपुर के कुलपति ने कहा कि जैविक और प्राकृतिक खेती समय की मांग है।

डॉ. एस.आर.के. सिंह, निदेशक, अटारी, जबलपुर  ने कहा कि सम्मेलन के विषयों में टिकाऊ कृषि के लिए जैविक खेती, प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए व्यापक विस्तार रणनीतियाँ, जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए नीति और संस्थागत दृष्टिकोण, सरकारी पहल और नीति शामिल हैं।

डॉ. ए.के. सिंह, कुलपति, रानी लक्ष्मी बाई केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय, झाँसी, डॉ. जे.पी. शर्मा, पूर्व कुलपति, शेर-ए-कश्मीर कृषि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, जम्मू, डॉ. अनुपम मिश्रा, कुलपति, केंद्रीय कृषि यूनिवर्सिटी, इम्फाल, डॉ. डेनियल गुस्ताफसन, उप-महानिदेशक, एफएओ को कृषि विस्तार के क्षेत्र में 30 वर्षों से अधिक के उनके विशेष योगदान और नवीन प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से कृषक समुदाय के जीवन को बदलने के लिए लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में पूरे भारत से 300 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया।

(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जबलपुर)

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