19 अक्टूबर 2012, बंगलूरू
डॉ. एस. अय्यप्पन, सचिव, डेयर एवं महानिदेशक, आईसीएआर ने डॉ. एन.के. कृष्णा कुमार, उप महानिदेशक (बागवानी) और डॉ. डब्लू. एस. ढिल्लन, सहायक महानिदेशक (बागवानी) के साथ भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान(आईआईएचआर) का दौरा किया।
इस अवसर पर डॉ. एस. अय्यप्पन ने आईआईएचआर द्वारा की गई प्रगति को प्रशंसनीय बताया और उपलब्धियों के लिए निदेशक व वैज्ञानिकों के दल की सराहना की। उन्होंने डॉ. कुमार को आगामी आईसीएआर की शासकीय निकाय की बैठक के लिए आईआईएचआर की उपलब्धियों पर एक प्रस्तुति तैयार करने का सुझाव भी दिया। उन्होंने वैश्विक लाइसेंसिग पर नीति तैयार करने की तत्काल व्यवस्था की ताकि आईआईएचआर की तकनीकों की भौगोलिक सीमाओं को तोड़ने में सहायता मिल सके।
डॉ. अय्यप्पन ने आईआईएचआर के आधुनिक सब्जियों की किस्मों के प्रदर्शन खेतों का भी दौरा किया तथा संकर पपीता व कम लागत के नेट हाउस में शिमला मिर्च खेती की तकनीक की सराहना की। इस अवसर पर महानिदेशक ने आईआईएचआर परिसर में नवनिर्मित वैज्ञानिक भवन व किसान छात्रावास का उद्घाटन किया तथा दोबारा तैयार किए गए प्रदर्शनी हॉल का भी दौरा किया।
इस अवसर पर सभी आधुनिक किस्मों और तकनीकों का प्रदर्शन किया गया। डॉ. ए.एस. सिद्धू, निदेशक, आईआईएचआर ने प्रभागों के प्रमुखों के साथ इन तकनीकों के बारे में विस्तारपूर्वक बताया। इन तकनीकों में से अनेक औद्योगिक स्तर पर बाजार में स्वीकार कर ली गई हैं।
एक प्रमुख बागवानी अनुसंधान संस्थान के रूप में आईआईएचआर ने राष्ट्रीय स्तर पर अनेक तकनीकों का विकास किया है जिसमें फलों, सब्जियों, सजावटी और औषधीय फसलों की 210 किस्में शामिल हैं। इसमें प्रमुख रूप से अर्का अनामिका(भिंडी), अर्का माणिक(तरबूज), अर्का कोमल(सेम), अर्का कल्याण(प्याज) और अर्का विकास(टमाटर) शामिल हैं। इन किस्मों द्वारा पिछले तीन दशक में बागवानी के क्षेत्र में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में तीव्र वृद्धि प्राप्त हुई है।
(स्रोत:आईआईएचआर, बंगलूरू)
(हिन्दी प्रस्तुति: एनएआईपी मास मीडिया परियोजना, डीकेएमए)
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