आर्य परियोजना की राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन

आर्य परियोजना की राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन

22- 23 फरवरी, 2024, पटना

भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी), पटना ने आज बिहार के बोधगया में आर्या परियोजना की 2 दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया।

भाकृअनुप के उप-महानिदेशक (कृषि विस्तार) डॉ. यू.एस. गौतम ने ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार और आय सृजन की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कृषि में युवाओं की रुचि की कमी के कारणों में, कम लाभप्रदता, कृषि कार्यों की कठिनता, जीवन की खराब गुणवत्ता और घटती भूमि जोत का भी हवाला दिया। डॉ. गौतम ने पारिस्थितिक संतुलन के महत्व पर जोर दिया तथा सुझाव दिया कि गांवों में पर्याप्त रोजगार के अवसर प्रदान करके ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में युवाओं के प्रवास को कम किया जा सकता है।

National Workshop of the ARYA Project

भाकृअनुप के पूर्व उप-महानिदेशक, डॉ. के.डी. कोकाटे ने कृषि से संबंधित कृषि-तकनीकी स्टार्टअप बनाने पर ध्यान केन्द्रित करते हुए आर्या परियोजना प्रतिभागियों को सरकारी योजनाओं से जोड़ने और उन्हें राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ावा देने पर जोर दिया।

डॉ. एम.एम. अधिकारी, पूर्व कुलपति, बिधान चंद्र कृषि विश्वविद्यालय, पश्चिम बंगाल ने अर्या परियोजना के माध्यम से प्रगतिशील किसान उद्यमियों के समग्र विकास के बारे में जानकारी दी, उनके बेहतर काम और आय पर प्रकाश डाला।

भाकृअनुप के सहायक महानिदेशक (कृषि विस्तार), डॉ. आर.आर. बर्मन ने कहा कि कृषि में ग्रामीण युवाओं की रुचि को बढ़ावा देने के लिए यह परियोजना 2015- 16 में शुरू की गई थी। कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से, परिषद ने 10 प्रमुख कृषि-संबन्धित उद्यमों की पहचान की साथ ही बकरी पालन, मुर्गी पालन, नर्सरी उत्पादन, मधुमक्खी पालन तथा मशरूम उत्पादन जैसे छोटे व्यवसायों में ज्यादा रुचि और आय की संभावना देखी गई।

डॉ. अंजनी कुमार, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, पटना ने आर्य परियोजना की रूपरेखा और राष्ट्रीय कार्यशाला के महत्व और उद्देश्यों पर प्रकाश डाला।

कार्यक्रम के दौरान बिहार और झारखंड के 12 प्रगतिशील उद्यमियों को कृषक प्रोत्साहन पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के दौरान आर्या परियोजना की वार्षिक रिपोर्ट और कृषि विज्ञान केन्द्रों के समाचार पत्र का भी विमोचन किया गया।

कार्यक्रम में विभिन्न कृषि संस्थानों के निदेशकों, कुलपतियों और देश भर के 100 केवीके के प्रमुखों ने भाग लिया।

(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान पटना (जोन- IV), पटना)

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