एएसए तथा भाकृअनुप-सीआईएआरआई ने एग्रो-ईकोटूरिज्म पर कार्यशाला का किया आयोजन

एएसए तथा भाकृअनुप-सीआईएआरआई ने एग्रो-ईकोटूरिज्म पर कार्यशाला का किया आयोजन

अंडमान साइंस एसोसिएशन (एएसए), भाकृअनुप-केन्द्रीय द्वीपीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पोर्ट ब्लेयर द्वारा अंतर्राष्ट्रीय जैव-विविधता दिवस मनाने के लिए "अंडमान और निकोबार द्वीपों के लिए सतत कृषि-पारिस्थितिक पर्यटन: अवसर और चुनौतियां" पर दो दिवसीय कार्यशाला का, जूलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (जेडएसआई), बॉटनिकल सर्वे ऑफ इंडिया (बीएसआई), एंथ्रोपोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएशआई), नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी (एनआईओटी), फिशरी सर्वे ऑफ इंडिया (एफएसआई), ओशन स्टडीज एंड मरीन बायोलॉजी डिपार्टमेंट ऑफ टूरिज्म पोर्ट ब्लेयर  के सहयोग एवं नाबार्ड के वित्तीय सहयोग से, आज उद्घाटन किया गया।

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इस अवसर पर बोलते हुए मुख्य अतिथि, डॉ. जतिंदर सोहल, डीएएनआईसीएस, निदेशक (आईपी एंड टी), अंडमान एवं निकोबार प्रशासन ने कहा कि अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी सर्वश्रेष्ठ गंतव्य के रूप में विकसित हुआ है। उन्होंने आह्वान किया कि पर्यटकों को जिम्मेदार पर्यटक बनाया जाना चाहिए; इसके अलावा उन्होंने ग्रामीण इलाकों की यात्रा की अवधारणा को शुरू करने की वकालत की, जो स्थानीय संस्कृति, भोजन और व्यवहार जैसी स्थायी प्रथाओं के संपर्क में आने के कारण कहीं और अधिक लोकप्रियता हासिल कर रही है।

विशिष्ट अतिथि, श्रीमती अर्चना सिंह, महाप्रबंधक, नाबार्ड, पोर्ट ब्लेयर ने जोर देकर कहा कि एएनआई यात्रा का सबसे अच्छा स्थान बन गया है और इसका लाभ इन्हें उठाना चाहिए। स्वच्छता के प्रति स्थानीय निवासियों की संवेदनशीलता एएनआई की यूएसपी है। उन्होंने वकालत की कि नाबार्ड एक टीम मोड में एग्रो इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए "मेरा जिला मेरा प्रोजेक्ट" लॉन्च करने की सुविधा प्रदान कर सकता है। उन्होंने एएनआई की स्थानीय संस्कृति को राजस्थान की स्थानीय संस्कृति ‘चोखी दहनी’ के रूप में प्रदर्शित करने तथा इसकी शुरुआत करने का उल्लेख किया।

डॉ. ई.बी. चाकुरकर, अध्यक्ष, एएसए और निदेशक, भाकृअनुप-सीआईएआरआई ने इन द्वीपों में एग्रो इको-टूरिज्म को बढ़ावा देने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए बताया कि स्थानीय भोजन, वनस्पति, जीव-जंतु, जलवायु परिवर्तन, जनसंख्या दबाव आदि के साथ-साथ संरक्षण सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। उन्होंने परिभाषित किये कि एग्रो इको-टूरिज्म सतत उत्पादन के लिए कृषि क्षेत्र, पर्यटन उद्योग और कृषि व्यवसाय की तीन प्रमुख अवधारणाएँ अर्थात् कुछ देखने के लिए, कुछ करने के लिए और कुछ खरीदने और बेचने के लिए एक सहजीवी संघ है। डॉ. चाकुरकर ने इस बात पर जोर दिया कि लोगों के लाभ के लिए भागीदारी मोड में सीआईएआरआई द्वारा सशुल्क अनुकूलित प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया जा सकता है। बाद में, उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय जैव-विविधता दिवस को चिह्नित करने के लिए "द्वीप पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण में कृषि पर्यावरण-पर्यटन की भूमिका" विषय पर एक विशेष व्याख्यान दिया।

कार्यशाला में विकास विभाग के लगभग 105 प्रतिभागियों, बीबीए, जेएनआरएम के छात्रों, प्रगतिशील किसानों, उद्यमियों, वैज्ञानिक, पर्यटन वाहन मालिक संघ और अन्य हितधारकों ने भाग लिया।

(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय द्वीपीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पोर्ट ब्लेयर)

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