औषधीय एवं सुगंधित फसलों की विविध खेती द्वारा किसानों की आय दोगुनी करने के लिए शीतकालीन स्कूल का आयोजन

औषधीय एवं सुगंधित फसलों की विविध खेती द्वारा किसानों की आय दोगुनी करने के लिए शीतकालीन स्कूल का आयोजन

18 दिसंबर, 2023, आणंद

भाकृअनुप-औषधीय और सुगंधित पौधे अनुसंधान निदेशालय, आणंद द्वारा 18 दिसंबर, 2023 से 7 जनवरी, 2024 तक आयोजित "किसानों की आय दोगुनी करने में एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में औषधीय और सुगंधित फसलों के साथ विविध खेती" पर 21 दिवसीय शीतकालीन स्कूल का आज उद्घाटन किया गया।

Winter School- Diversified Farming with Medicinal and Aromatic Crops in Doubling Farmers Income  Winter School- Diversified Farming with Medicinal and Aromatic Crops in Doubling Farmers Income

विंटर स्कूल का उद्घाटन मुख्य अतिथि, डॉ. एस.के. मल्होत्रा, निदेशक, भाकृअनुप-कृषि ज्ञान प्रबंध निदेशालय ने किया। और डॉ. मनीष दास, निदेशक एवं संरक्षक, भाकृअनुप-डीएमएपीआर, आणंद ने कार्यक्रमों की अध्यक्षता की।

Winter School- Diversified Farming with Medicinal and Aromatic Crops in Doubling Farmers Income  Winter School- Diversified Farming with Medicinal and Aromatic Crops in Doubling Farmers Income

डॉ. मल्होत्रा ने अपने उद्घाटन संबोधन में कहा कि पिछले 2 दशकों में, दवाओं की पारंपरिक प्रणाली में जबरदस्त रुचि बढ़ी है, इसका मुख्य कारण यह है कि वे प्राकृतिक हैं और उनका कोई दुष्प्रभाव नहीं है। उन्होंने कहा, ''उपचार से रोकथाम की ओर बदलाव हो रहा है, इसलिए सभी के लिए स्वास्थ्य, भारत सरकार का एजेंडा है, जहां देशवासियों के लिए बीमारी से कल्याण सुनिश्चित करना है।'' डॉ. मल्होत्रा ने इस बात पर जोर दिया कि नई अवधारणाओं, उपकरणों तथा विकास पर प्रतिभागियों के कौशल को निखारने के लिए शीतकालीन स्कूल महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने कहा कि इन प्रयासों से गुणात्मक सुधार आएगा और समसामयिक समस्याओं के समाधान की क्षमता में वृद्धि होगी। डॉ. मल्होत्रा ने, हाल के दिनों में, एमएपी में अनुसंधान, विस्तार एवं शिक्षा में निदेशालय द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की।

डॉ. मनीष दास ने निदेशालय और यहां होने वाले कार्यों के बारे में संक्षेप में बताया। उन्होंने बदलती जलवायु परिस्थितियों में एमएपी के महत्व पर भी जोर दिया, जहां एमएपी प्रतिकूल परिस्थितियों में बेहतर प्रदर्शन करने के लिए जाने जाते हैं।

डॉ. पी.एल. सरन, पाठ्यक्रम निदेशक ने शीतकालीन विद्यालय के उद्देश्यों के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि कार्यक्रम में विशेषज्ञों द्वारा 62 व्याख्यान शामिल होंगे जिनमें गहन चर्चा, जीएपी विश्लेषण के लिए समूह चर्चा, व्यावहारिक व्यावहारिक सत्र, उद्योग/ किसान के क्षेत्र/ आदिवासी क्षेत्रों का दौरा और प्रशिक्षुओं से प्रतिक्रिया शामिल होगी।

कार्यक्रम में राज्य कृषि विश्वविद्यालयों तथा भाकृअनुप संस्थानों के कुल उन्नीस प्रशिक्षुओं ने भाग लिया।

(स्रोत: भाकृअनुप-औषधीय और सुगंधित पौधे अनुसंधान निदेशालय, आणंद)

×