बाजरा थ्रेशर का प्रदर्शन एवं वितरण कार्यक्रम आयोजित

बाजरा थ्रेशर का प्रदर्शन एवं वितरण कार्यक्रम आयोजित

12 एवं 13 अक्टूबर, 2023, तवांग

अंतर्राष्ट्रीय श्री अन्न (मिलेट्स) वर्ष 2023 को चिह्नित करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (भाकृअनुप) ने एनईएच कार्यक्रम के तहत केवीके, तवांग के सहयोग से अल्मोड़ा (उत्तराखंड) स्थित भाकृअनुप-विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान (वीपीकेएएस) द्वारा केवीके, तवांग में बाजरा थ्रेशर प्रदर्शन और वितरण कार्यक्रम तथा किसान-वैज्ञानिक बातचीत का आयोजन किया गया।

Millet Threshers Demonstration & Distribution Programme  Millet Threshers Demonstration & Distribution Programme

श्री कार्यक्रम के मुख्य अतिथि तवांग के उपायुक्त, के. दरांग थे। उन्होंने केवीके तवांग के सहयोग से भाकृअनुप-वीपीकेएएस, अल्मोडा द्वारा की गई पहल की सराहना की और जिला प्रशासन से हर संभव मदद का आश्वासन दिया। श्री दरांग ने किसानों से उत्पादन लागत कम करने और कृषि से आय बढ़ाने के लिए नई फसल किस्मों और कृषि प्रौद्योगिकियों को अपनाने का आग्रह किया।

Millet Threshers Demonstration & Distribution Programme

डॉ. लक्ष्मी कांत, निदेशक, भाकृअनुप-वीपीकेएएस ने जिले में मंडुआ को बढ़ावा देने के लिए भाकृअनुप-वीपीकेएएस द्वारा की गई पहल के बारे में जानकारी दी, जिसमें जल्दी पकने वाली और अधिक उपज देने वाली किस्म वीएल मंडुआ 376 को सफलतापूर्वक अपनाने और इसे किसान सहभागी बीज उत्पादन के माध्यम से इसके विस्तार के प्रयासों पर प्रकाश डाला। उन्होंने वीएल बाजरा थ्रेशर-कम-पियरलर के फायदों पर प्रकाश डाला और थ्रेशर को जिले में बड़ी संख्या में किसानों तक पहुंचने में मदद करने के लिए राज्य सरकार की सब्सिडी योजनाओं में शामिल करने का अनुरोध किया। डॉ. कांत ने किसानों को उनकी बाजरा उपज के लिए अधिक मूल्य प्राप्त करने में सक्षम बनाने के लिए जैविक प्रमाणीकरण की सुविधा के लिए उठाए गए कदमों के बारे में भी जानकारी दी।

जिला कृषि पदाधिकारी, श्री टी. बाम ने किसानों को उनके कृषि संबंधी मुद्दों पर मदद करने और उन्हें नई कृषि प्रौद्योगिकियां उपलब्ध कराने की पेशकश की।

किसानों को वीएल श्री अन्न थ्रेशर-कम-पियरलर की कार्यप्रणाली का प्रदर्शन किया गया और उसके बाद, सामुदायिक उपयोग के लिए डीसी, श्री.के. दरांग और डॉ. लक्ष्मी कांत द्वारा किसानों को 13 थ्रेशर वितरित किए गए।

कार्यक्रम में ब्लेटिंग, बुरी, जिप्सू, खरतेंग, किटपी, लुम्त्सांग, नामेट, शक्ति और शेरनुप गांवों के 20 किसानों ने भाग लिया।

(स्रोत: भाकृअनुप-विवेकानंद पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा)

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