6 जुलाई, 2023
भाकृअनुप-राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, लखनऊ जोखिम मूल्यांकन और मछली स्वास्थ्य सहित स्वदेशी तथा विदेशी जर्मप्लाज्म का मूल्यांकन करने वाला प्रमुख संस्थान है। वर्तमान वैश्विक जैव विविधता संकट और जलीय आक्रामक प्रजातियों पर राष्ट्रीय संदर्भ में उचित विचार करने के साथ-साथ, भाकृअनुप-एनबीएफजीआर द्वारा आज हाइब्रिड मोड में एक प्रारंभिक कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें देश भर के विषय विशेषज्ञों ने अपने इनपुट और सुझाव देने के लिए कार्यशाला में भाग लेकर विदेशी मछली प्रजातियों की वर्तमान स्थिति तथा रुझान, उनके प्रभाव, उनके चालक, प्रबंधन और एक नीति के विकल्पों को समझने के लिए मूल्यांकन, जिसके आधार पर आने वाले चुनौतियों से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके।
विषय पर निर्देशित चर्चा के साथ-साथ विशेषज्ञों, डॉ. ए.जी. पोन्नैया, पूर्व निदेशक भाकृअनुप-सीआईबीए और भाकृअनुप-एनबीएफजीआर; डॉ. एस. रायज़ादा, पीएमएमएसवाई के सलाहकार और पूर्व सहायक महानिदेशक (अंतर्देशीय मत्स्य पालन), भाकृअनु; डॉ. ए.के. सिंह, पूर्व निदेशक, भाकृअनु-डीसीएफआर; डॉ. यू.के. सरकार, परियोजना समन्वयक और निदेशक, भाकृअनुप-एनबीएफजीआर, डॉ. के.डी. जोशी, पूर्व प्रधान वैज्ञानिक, भाकृअनुप-एनबीएफजीआर; डॉ. एस. सैंडिलियन, पूर्व सलाहकार, राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण; डॉ. एन. सूद, प्रमुख, विदेशी और जलीय पशु स्वास्थ्य प्रभाग, भाकृअनुप-एनबीएफजीआर द्वारा राय प्रदान की गई। कार्यशाला में 12 सदस्यीय परियोजना टीम ने भाग लिया। वैज्ञानिक एवं परियोजना के प्रधान अन्वेषक डॉ. टी. कुमावत ने औपचारिक धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया।
(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय मत्स्य आनुवंशिक संसाधन ब्यूरो, लखनऊ)
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