1 अप्रैल, 2023, मोदीपुरम, मेरठ
भाकृअनुप-भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान (आईआईएफएसआर), मोदीपुरम, मेरठ ने अपना 34वां स्थापना दिवस मनाया।
कार्यक्रम का उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि, डॉ. पंजाब सिंह, चांसलर, आरएलबीसीएयू, झांसी और पूर्व सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) ने किया। अपने संबोधन में उन्होंने संस्थान के कर्मचारियों को बधाई दी और इस बात पर जोर दिया कि भाकृअनुप-आईआईएफएसआर देश का एकमात्र ऐसा संस्थान है जो एनएआरएस संस्थानों द्वारा दी गई सभी तकनीकों एकीकृत कृषि प्रणाली (आईएफएस)/ एकीकृत जैविक खेती प्रणाली (आईओएफएस) के रूप में किसानों के भोजन, पोषण और आजीविका सुरक्षा को हल करने के उद्देश्य से एकीकृत मॉडल प्रदान करता है। यह पर्यावरण का भी ख्याल रखता है और बदलती जलवायु के दुष्प्रभाव को कम करता है।
डॉ. एस.के. चौधरी, उप महानिदेशक (एनआरएम), भाकृअनुप समारोह के अध्यक्ष रूप में सभा को एक वर्चुअल संबोधन दिया। उन्होंने भाकृअनुप-आईआईएफएसआर की शानदार यात्रा के लिए अपनी प्रशंसा व्यक्त की, जो 1952 में सरल उर्वरक परीक्षणों के साथ शुरू हुई, जो 2014 में एक पूर्ण संस्थान के रूप में अपनी पराकाष्ठा पर पहुंच गई। एकीकृत कृषि प्रणालियों के समग्र शोध पर इसका ध्यान सराहनीय है। डॉ. चौधरी ने कृषक समुदाय की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए एकीकृत/ जैविक खेती में एक सुनियोजित, प्रगतिशील फसल योजना और व्यवसाय मॉडल के महत्व पर जोर दिया।
एसवीपीयूएएंडटी, मेरठ के कुलपति, डॉ. के.के. सिंह और शोभित विश्वविद्यालय, मेरठ के कुलपति, डॉ. अमर पी. गर्ग सम्मानित अतिथि के रूप में यहां उपस्थित थे। उन्होंने किसानों के भोजन, पोषण और आजीविका सुरक्षा के लिए कृषक समुदाय की सेवा करने में भाकृअनुप-आईआईएफएसआर के प्रयासों की भी प्रशंसा की।
डॉ. राजबीर सिंह, सहायक महानिदेशक (एएएफसीसी), भाकृअनुप सम्मानित अतिथि थे और उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि अगले 25 वर्षों में कृषि की चुनौतियां आज की चुनौतियों से अलग होंगी। उन्होंने वैज्ञानिकों से इन आगामी चुनौतियों का समाधान करने के लिए भविष्य की कृषि प्रणाली के मॉडल विकसित करने का आग्रह किया।
डॉ सुनील कुमार, निदेशक (भाकृअनुप-आईआईएफएसआर) ने सभी गणमान्य व्यक्तियों और प्रतिभागियों का स्वागत किया। उन्होंने निदेशक की रिपोर्ट पेश की और बताया कि संस्थान ने 8 आईओएफएस मॉडल के साथ देश के लगभग सभी कृषि-पारिस्थितिक क्षेत्रों के लिए 74 प्रोटोटाइप आईएफएस मॉडल विकसित किए हैं, जो खेत के कचरे/ उपोत्पादों के पुनर्चक्रण के माध्यम से बाजार से रासायनिक उर्वरकों के खर्च में 41-66% तक कमी के अलावा बचत के साथ किसानों की आय को 3-5 गुना तक बढ़ाने की क्षमता रखते हैं।
विशेष आमंत्रित, पूर्व निदेशक, भाकृअनुप-आईआईएफएसआर, डॉ. आर.एल. यादव, डॉ. एस.के. शर्मा और डॉ. बी. गंगवार ने संस्थान की अनुसंधान उपलब्धियों की सराहना की और भविष्य के अनुसंधान कार्यक्रमों की गुणवत्ता में सुधार और छोटे और सीमांत किसानों के लिए भविष्य की समस्याओं को हल करने से संबन्धित वैज्ञानिकों को बहुमूल्य सुझाव भी दिए।
महिला प्रतिभागियों के लिए सर्वोत्तम श्री अन्न पकवान और श्री अन्न पहचान पर एक विशेष समर्पित शो का आयोजन किया गया। इस प्रकार उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वालों को मुख्य अतिथि एवं अन्य गणमान्य व्यक्तियों द्वारा ट्रॉफी एवं प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम हाइब्रिड मोड (व्यकितिगत उपस्थिति एवं वर्चुअल माध्यम दोनों) में किया गया, जिसमें विभिन्न एआईसीआरपी-आईएफएस, एआईएनपी-ऑफ केन्द्रों से भाकृअनुप-आईआईएफएसआर, पीआई और सह-पीआई के सभी कर्मचारी; विभिन्न एनआरएम संस्थानों के निदेशक/ प्रतिनिधि और भाकृअनुप-सीपीआरआईसी, मोदीपुरम, भाकृअनुप-सीआईआरसी, मेरठ, एसवीपीयूएएंडटी, मेरठ के प्रतिनिधि; विभिन्न आयोजनों के दौरान किसानों, एफपीओ, एसएचजी और कृषि-उद्यमियों ने भाग लिया।
डॉ. एन. रविशंकर, कार्यक्रम समन्वयक ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत किया।
(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय कृषि प्रणाली अनुसंधान संस्थान, मोदीपुरम, मेरठ)
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