13 सितम्बर 2023, देहरादून
भाकृअनुप-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान (भाकृअनुप-आईआईएसडब्ल्यूसी), सेलाकुई और इफको, देहरादून के अनुसंधान फार्म में "वृक्षारोपण अभियान और कृषि ड्रोन प्रदर्शन" का एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम का आयोजन आईआईएसडब्ल्यूसी के टीएसपी कार्यक्रम के प्रावधान के तहत किया गया था।
आईआईएसडब्ल्यूसी की निदेशक, डॉ. मधु ने हमारी कृषि प्रणालियों को पुनर्जीवित करने और पोषण सुरक्षा प्राप्त करने के लिए बाजरा जैसी भूली हुई पारंपरिक फसलों और इसके महत्व को वापस लाने का आह्वान किया। उन्होंने किसानों के स्वयं सहायता समूहों को अच्छी आय प्राप्त करने के लिए कटहल के प्रसंस्करण के पहलू पर भी प्रकाश डाला।
डॉ. आर.के. सिघ, प्रमुख (जल विज्ञान एवं इंजीनियरिंग प्रभाग), डॉ. जे.एम.एस. तोमर प्रमुख (पादप विज्ञान प्रभाग), डॉ. गोपाल कुमार, प्रमुख (मृदा विज्ञान प्रभाग) ने प्रतिभागियों के साथ खेती के विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की।
डॉ. एम. मुरुगानंदम, प्रधान वैज्ञानिक और समन्वयक, एससीएसपी/ टीएसपी, आईआईएसडब्ल्यूसी ने कार्यक्रम के महत्व पर बात की, जिसका उद्देश्य कृषि गतिविधियों में ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा देना और हितधारकों की भागीदारी के माध्यम से वृक्षारोपण द्वारा परिवेश को हरा-भरा करना था।
श्री. आर.के. श्रीवास्तव, राज्य विपणन प्रबंधक, इफको, देहरादून ने दानेदार उर्वरकों की तुलना में नैनो यूरिया, नैनो डीएपी और सागरिका जैसे इफको उत्पादों की प्रभावशीलता पर चर्चा की। उन्होंने इन उत्पादों की प्रक्रिया तथा खुराक के बारे में भी बताया।
डॉ. ए.सी. राठौड़, प्रधान वैज्ञानिक (बागवानी) ने फलों के बागानों की स्थापना के लिए कटहल के महत्व और वृक्षारोपण तकनीकों के बारे में जानकारी दी।
डॉ. अनुपम भर, वैज्ञानिक ने मशरूम की खेती के तरीकों और स्वास्थ्य लाभों पर चर्चा की। उन्होंने छोटे एवं सीमांत किसानों की आय बढ़ाने के लिए मशरूम के प्रसंस्करण पर भी प्रकाश डाला।
डॉ. रमनजीत सिंह ने हमें किसानों की वर्तमान समस्याओं के बारे में बताया तथा पहाड़ी क्षेत्रों में बागवानी फसलों का सुझाव दिया।
श्री खान, एडीओ, उद्यान विभाग ने राज्य सरकार द्वारा किसानों को लाभान्वित करने के लिए प्रदान की जाने वाली योजनाओं और सुविधाओं से अवगत कराया।
प्रगतिशील किसानों ने अपने खेती के अनुभव साझा किए और आवश्यक सुविधाओं और मार्गदर्शन का हवाला देते हुए कार्यक्रमों और क्षेत्रीय हस्तक्षेपों के माध्यम से संस्थान की सहायता की सराहना की।
कार्यक्रम में प्रगतिशील किसानों, वैज्ञानिकों, तकनीकी अधिकारियों एवं अन्य कर्मचारियों सहित लगभग 200 लोगों ने भाग लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान, देहरादून)
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