भाकृअनुप-आईआईवीआर की भिंडी किस्म- काशी चमन ने किसान के खेत में बंपर उपज दी

भाकृअनुप-आईआईवीआर की भिंडी किस्म- काशी चमन ने किसान के खेत में बंपर उपज दी

भिंडी पूरे भारत में उगाई एवं खाई जाने वाली सबसे महत्वपूर्ण सब्जियों में से एक है। यह कई पोषक तत्वों से भरपूर है और विशेष रूप से, विटामिन- सी और के से भरपूर है। भिंडी एंटी-ऑक्सीडेंट से समृद्ध है जो गंभीर बीमारियों के खतरे को कम करती है, सूजन को रोकती है और समग्र स्वास्थ्य में योगदान देती है। इसमें पॉलीफेनोल्स होता है जो हृदय और मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है। भिंडी में लेक्टिन नामक प्रोटीन होता है जो कैंसर रोधी होता है।

ICAR-IIVR’s Okra Variety - Kashi Chaman fetches bumper yield at farmer’s field  ICAR-IIVR’s Okra Variety - Kashi Chaman fetches bumper yield at farmer’s field

भाकृअनुपर-भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आईआईवीआर), वाराणसी, उत्तर प्रदेश में वर्ष 2019 में  ओकरा किस्म- काशी चमन का विकसित किया गया, जिसकी खेती गर्मी और बरसात दोनों मौसमों में की जा सकती है। यह किस्म येलो वेन मोज़ेक वायरस (वाईवीएमवी) तथा ओकरा एनेशन लीफ कर्ल वायरस (ओईएलसीवी) रोगों के प्रति सहनशील है जो भिंडी की फसल के लिए सबसे खतरनाक रोग हैं तथा भिंडी की खेती में एक बड़ी समस्या भी हैं। इस किस्म की उपज क्षमता अपने क्षेत्र में 21.66% अधिक है, जिसके कारण यह किस्म उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा में लोकप्रिय हो रही है और पहले ही किसानों के खेत में लगभग 10,000 हेक्टेयर क्षेत्र को कवर कर चुकी है।

वाराणसी के आराजीलाइन ब्लॉक, बंगालीपुर गांव के श्री उपेन्द्र सिंह पटेल ने 10 जुलाई, 2021 को 10 बिस्वा (0.3 एकड़) भूमि में ओकरा किस्म- काशी चमन के बीज बोए थे और इसके उत्पादन के लिए वैज्ञानिक पैकेज विधियों का पालन किया था। उन्होंने संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा सुझाए गए अनुशंसित उर्वरकों और रसायनों का भी उपयोग किया।

भिंडी फल की पहली तुड़ाई, बुवाई के 46 दिन बाद यानी 25 अगस्त, 2021 को हुई थी। उसके बाद, उन्होंने 3 से 4 दिनों के अंतराल में 35 से 40 किलोग्राम भिंडी की नियमित तुड़ाई की और आखिरी तक 19 तुड़ाई प्राप्त हुई, अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में 90 दिनों की अवधि में 0.3 एकड़ भूमि से 668 किलोग्राम की कुल उपज के साथ खेती की लागत तथा बाज़ार तक परिवहन लागत घटाने के बाद 21,376/- रु. का शुद्ध लाभ प्राप्त हुआ।

(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी, उत्तर प्रदेश)

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