बंगालीपुर गांव, वाराणसी, उत्तर प्रदेश के श्री अवनीश पटेल ने प्रदेश के राज्य बागवानी विभाग से सब्सिडी प्राप्त कर 0.25 एकड़ क्षेत्र में एक प्राकृतिक हवादार पॉलीहाउस का निर्माण किया। लेकिन गलत समय पर बुवाई और उचित प्रबंधन के अभाव में उनकी टमाटर की फसल नेट हाउस में स्थापित के बावजूद विफल हो गई। उन्होंने भारी नुकसान का सामना किया और नेट हाउस उत्पादन को छोड़ दिया।


भाकृअनुप-भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (आईआईवीआर), वाराणसी के वैज्ञानिकों की एक टीम ने जुलाई 2021 के महीने में श्री पटेल द्वारा स्थापित पॉली हाउस का दौरा किया। प्राथमिक निरीक्षण के बाद, यह स्पष्ट हो गया कि संरक्षित खेती में तकनीकी ज्ञान की कमी के कारण, टमाटर फसल विफल रही और वैज्ञानिकों ने शिमला मिर्च और टमाटर की खेती के प्रदर्शन के लिए पॉलीहाउस को अपनाने का फैसला किया।


शिमला मिर्च की स्वर्ण अतुल्य किस्म और निजी कंपनियों के दो संकर किस्म रेहाना तथा हंटिंगटन को उगाने के लिए भाकृअनुप-आईआईवीआर के वैज्ञानिकों द्वारा तकनीकी सहायता प्रदान की गई। सांस्कृतिक संचालन के लिए सभी कार्यक्रम उन्हें पहले से दिए गए साथ ही वैज्ञानिकों द्वारा हर ऑपरेशन की वास्तविक समय के आधार पर निगरानी की गई।


श्री अवनीश पटेल ने 15 बार (मई 2022 के दूसरे सप्ताह तक) शिमला मिर्च की कटाई की, जिसके परिणामस्वरूप सात महीने की अवधि में कुल 2864 किलोग्राम का उत्पादन हुआ और शुद्ध आय, 0.25 एकड़ से 1.27 लाख रु. हुआ।
श्री पटेल ने 14-16 दिसंबर, 2021 के दौरान भाकृअनुप-आईआईवीआर में आयोजित पोषण, उद्यमिता तथा पर्यावरण के लिए सब्जी अनुसंधान एवं नवाचारों पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (आईसीवीईजी-21) में इस तकनीक का प्रदर्शन भी किया।
अन्य किसानों को प्रौद्योगिकी दिखाने के लिए 17 फरवरी, 2022 को संरक्षित खेती पर एक क्षेत्र दिवस आयोजित किया गया। डॉ. टी.के. बेहरा, निदेशक, भाकृअनुप-आईआईवीआर ने पूर्वी उत्तर प्रदेश में अन्य पॉली हाउस धारकों के लिए तकनीकी सहायता देने का आश्वासन दिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान, वाराणसी)
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