22 मार्च, 2024, नई दिल्ली
22 मार्च, 2024 को 'विश्व जल दिवस' के अवसर पर, जल प्रौद्योगिकी केन्द्र, भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली ने केन्द्रीय विषय "शांति के लिए जल" पर एक तकनीकी कार्यक्रम का आयोजन किया।
मुख्य अतिथि, डॉ. हिमांशु पाठक, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) ने वर्तमान समाज में वर्ष 2024 के लिए 'विश्व जल दिवस' की थीम की प्रासंगिकता पर जोर दिया। उन्होंने वर्षा के असमान वितरण तथा संबन्धित जलजमाव के नकारात्मक प्रभावों के बारे में विस्तार से बताया साथ ही जलवायु परिवर्तन की पृष्ठभूमि में कुशल जल संरक्षण एवं प्रबंधन के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने उल्लेख किया कि भारत में सूक्ष्म सिंचाई के तहत 80% क्षेत्र, वर्तमान में, केवल छह राज्यों में केन्द्रित है जिसका अन्य संभावित राज्यों में प्रचार और प्रसार के लिए गहन अनुसंधान एवं विस्तार प्रयासों पर जोर दिया। डॉ. पाठक ने कृषि जल प्रबंधन में अनुसंधान, शिक्षा और प्रशिक्षण के सबसे आधुनिक तथा नवीन तरीकों को विकसित करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने डब्ल्यूटीसी और भाकृअनुप-आईएआरआई के प्रयासों की सराहना की तथा कृषि जल प्रबंधन के लिए तकनीकी विकल्पों पर विचार-मंथन सत्र आयोजित करने तथा देश में जल प्रबंधन की बहुआयामी चुनौतियों का समाधान करते हुए एक व्यापक अनुसंधान परियोजना प्रस्ताव तैयार करने का सुझाव दिया।
सम्मानित अतिथि, डॉ. पी.के. सिंह, कृषि आयुक्त, भारत सरकार ने जलवायु-अनुकूल जल प्रबंधन प्रथाओं, वाटरशेड प्रबंधन और एकीकृत बाढ़ एवं सूखा प्रबंधन के महत्व पर जोर दिया।
विशिष्ट अतिथि, डॉ. एस.के. अम्बास्ट, अध्यक्ष, केन्द्रीय भूजल बोर्ड, भारत सरकार ने भारत में भूजल संसाधनों के कुशल उपयोग पर एक प्रस्तुति दी।
इससे पहले डॉ. ए.के. सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-आईएआरआई, नई दिल्ली ने स्वागत संबोधन दिया और आईएआरआई फार्म में अमृत सरोवर के माध्यम से पानी के कुशल भंडारण एवं सिंचाई के आधुनिक तरीकों के माध्यम से कृषक समुदाय द्वारा कृषि में अधिकतम पानी के उपयोग पर बात की।
डॉ. पी.एस. ब्रह्मानंद, परियोजना निदेशक, डब्ल्यूटीसी, भाकृअनुप-आईएआरआई ने विश्व जल दिवस के लिए विषय का संदर्भ निर्धारित करते हुए कृषि क्षेत्र के लिए टिकाऊ जल प्रबंधन हेतु 10- सूत्री कार्य योजना के बारे में जानकारी दी।
इस कार्यक्रम में भाकृअनुप-आईएआरआई के विभिन्न प्रभागों के प्रमुखों, वैज्ञानिकों, प्रोफेसरों और छात्रों सहित विभिन्न भाकृअनुप संस्थानों के लगभग 180 प्रतिभागियों ने शिरकत की।
(स्रोत: जल प्रौद्योगिकी केन्द्र, भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली)
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