भाकृअनुप-आरसीईआर द्वारा स्वर्ण मधु किस्म के डॉ. हिमांशु पाठक लीची मदर ब्लॉक की स्थापना

भाकृअनुप-आरसीईआर द्वारा स्वर्ण मधु किस्म के डॉ. हिमांशु पाठक लीची मदर ब्लॉक की स्थापना

20 सितंबर 2023, रांची

डॉ. हिमांशु पाठक, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) ने आज भाकृअनुप-पूर्वी क्षेत्र अनुसंधान परिसर (आरसीईआर), एफएसआरसीएचपीआर, रांची का आज दौरा किया। डॉ. अनूप दास, निदेशक, भाकृअनुप-आरसीईआर, पटना, डॉ. सुजय रक्षित, निदेशक, भाकृअनुप-भारतीय कृषि जैव प्रौद्योगिकी संस्थान, रांची, डॉ. अंजनी कुमार, निदेशक, भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, पटना और डॉ. उज्ज्वल कुमार, प्रभारी प्रमुख, सामाजिक-आर्थिक विस्तार प्रभाग, भाकृअनुप-आरसीईआर, पटना भी उनके साथ थे। 

ICAR-RCER established the Dr. Himanshu Pathak Litchi Mother block of Swarna Madhu  ICAR-RCER established the Dr. Himanshu Pathak Litchi Mother block of Swarna Madhu

डॉ. पाठक ने लीची किस्म स्वर्ण मधु का पहला पौधा लगाकर मदर ब्लॉक का उद्घाटन किया और शाथ ही अतिथियों द्वारा ब्लॉक का नाम "डॉ. हिमांशु पाठक लीची मदर ब्लॉक” रखा गया है। स्वर्ण मधु अधिक उपज देने वाली (10वें वर्ष से लगभग 50 किलोग्राम प्रति पौधा), नियमित रूप से फल देने वाली, 80 से 85 दिनों में पकने वाली और बेदाना समूह (छोटे बीज वाली) की फल छेदक प्रतिरोधी लीची किस्म है जो झारखंड में व्यावसायिक खेती के लिए उपयुक्त है। उन्होंने गुणवत्तापूर्ण बीज और रोपण सामग्री की मांग एवं आपूर्ति के बीच अंतर का आकलन करने तथा किसानों की मांगों को पूरा करने के लिए भविष्य की रणनीतियों पर जोर दिया और उन्हें बागवानी फसलों में प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के एकीकरण के लिए काम करने की सलाह दी।

डॉ. दास और डॉ. अरुण कुमार सिंह, प्रमुख ने केन्द्र द्वारा विकसित विभिन्न उन्नत तकनीकों पर प्रकाश डाला, जैसे कि सोलर पंप साइजिंग टूल, बासमती सोयाबीन की उन्नत किस्में, ग्राफ्टेड टमाटर, ब्रिमाटो (बैंगन और टमाटर एकल रूटस्टॉक पर ग्राफ्टेड), परवल की उन्नत किस्में, देसी मुर्गियों और जानवरों का लक्षण वर्णन, एकीकृत कृषि प्रणाली, आदि।

केन्द्र के गणमान्य व्यक्तियों एवं वैज्ञानिकों द्वारा स्वर्ण मधु के 100 पौधे लगाए गए। इस मदर ब्लॉक के नए वंशज भविष्य में झारखंड और पड़ोसी राज्यों में आपूर्ति के लिए लीची की पर्याप्त गुणवत्ता वाली रोपण सामग्री का उत्पादन करेंगे।

(स्रोत: भाकृअनुप-पूर्वी क्षेत्र के लिए अनुसंधान परिसर, एफएसआरसीएचपीआर, रांची)

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