भाकृअनुप-अटारी, कानपुर ने उत्तर प्रदेश के केवीके के लिए निक्रा परियोजना की वार्षिक क्षेत्रीय समीक्षा कार्यशाला का किया आयोजन

भाकृअनुप-अटारी, कानपुर ने उत्तर प्रदेश के केवीके के लिए निक्रा परियोजना की वार्षिक क्षेत्रीय समीक्षा कार्यशाला का किया आयोजन

12-14 मई, 2023, कानपुर

भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी), जोन-III, कानपुर, उत्तर प्रदेश के केवीके के लिए निक्रा (नेशनल इनोवेशन इन क्लाइमेट रेजिलिएंट एग्रीकल्चर) परियोजना की वार्षिक क्षेत्रीय समीक्षा कार्यशाला 12 से 14 मई, 2023 तक आयोजित की गई थी। इस कार्यशाला में निक्रा परियोजना के 17 कृषि विज्ञान केन्द्रों की गत वर्ष (2022) की उपलब्धियों एवं वर्ष 2023 की कार्ययोजना की समीक्षा की गई।

मुख्य अतिथि, श्री देवेन्द्र सिंह, सांसद, अकबरपुर एवं संसदीय स्थायी समिति (कृषि, पशुपालन एवं खाद्य प्रसंस्करण) के सदस्य ने कहा कि जलवायु परिवर्तन सबसे बड़ी चुनौती है, विशेषकर कृषि के क्षेत्र में। श्री सिंह ने आह्वान किया कि जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में मिट्टी और पानी की नियमित जांच काफी महत्वपूर्ण हो जाता है। उन्होंने मृदा परीक्षण के लक्ष्य को व्यवस्थित रूप से निर्धारित करने एवं इसकी कमी तथा गुणों को साझा करने, जागरूकता, प्रशिक्षण, आदि को आगे बढ़ाने पर जोर दिया जो जलवायु-लचीली कृषि के लिए सहायक होंगे।

img  img

इस अवसर पर सम्मानित अतिथि, डॉ. रंजय कुमार सिंह, सहायक महानिदेशक (एई), भाकृअनुप; डॉ. विनोद कुमार सिंह, निदेशक, भाकृअनुप-केन्द्रीय शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान संस्थान (क्रीडा), हैदराबाद; डॉ. बी. गंगवार, अध्यक्ष-जेडएमसी निक्रा और डॉ. मसूद अली, सदस्य, जेडएमसी, निक्रा ने निक्रा परियोजना को अधिक सार्थक, किसान-केन्द्रित तथा ग्रामीण स्तर पर जलवायु के प्रति संवेदनशीलता को कम करने के लिए एक उपकरण के रूप में बनाने को लेकर अपने विचार व्यक्त किए।

डॉ. एस.के. दुबे, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, कानपुर ने अपने स्वागत संबोधन में साझा किया कि निक्रा परियोजना राज्य में वर्ष 2011 (चरण I) तथा वर्ष 2017 (चरण II) से चल रहा है और इसका उद्देश्य जलवायु-लचीली कृषि को बढ़ावा देना तथा कृषि के जलवायु के प्रति संवेदनशीलता को कम किया जाना है। वर्तमान में, यह परियोजना उत्तर प्रदेश के 17 जलवायु के प्रति संवेदनशील जिलों में चल रही है जहां किसानों के लिए कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) भी विकसित किए गए हैं, जिनमें केवीके के माध्यम से किसानों को कृषि मशीनरी उपलब्ध कराई जाती है। इसके साथ ही केवीके के माध्यम से किसानों को वहां की स्थिति के अनुसार उन्नत किस्मों तथा संबंधित तकनीकी के बीजों का प्रदर्शन किया जा रहा है।

कार्यशाला में निक्रा केवीके के प्रमुख के साथ-साथ किसानों (40) ने भी भाग लिया और अपने अनुभव साझा किए।

इस कार्यशाला में चार तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया, जिसमें केवीके की जिलेवार उपलब्धियों की गहन समीक्षा की गई।

वैज्ञानिकों की एक टीम ने 14 मई, 2023 को हमीरपुर जिले के निक्रा गांव का दौरा भी किया।

(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, जोन-III, कानपुर)

×