21 मार्च, 2023, नई दिल्ली
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (भाकृअनुप) और विश्व बैंक द्वारा 21-23 मार्च तक संयुक्त रूप से आयोजित कृषि में उच्च शिक्षा - 2023 के लिए मिश्रित शिक्षण पारिस्थितिकी तंत्र पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आज यहां उद्घाटन किया गया।
मुख्य अतिथि, श्री नरेन्द्र सिंह तोमर, केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री ने कहा कि "मिश्रित शिक्षा और कृषि क्षेत्र, 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र का दर्जा देने में मदद करेगा। कृषि, जो भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, इसमें प्रौद्योगिकी एवं ज्ञान के कम विस्तार के कारण सीमित धन के प्रवाह को आकर्षित कर सकता है। इस आलोक में सबका साथ, सबका विकास' के अनुरूप हम नीतियां बनाते हैं ताकि जमीनी स्तर पर लोगों को इसका लाभ मिल सके।
डॉ. हिमांशु पाठक, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) ने कहा कि “भारत सरकार के लिए एक प्रतिबद्ध भागीदार होने के लिए मैं विश्व बैंक को धन्यवाद देना चाहता हूं। मुझे विश्वास है कि यह भागीदारी अनुसंधान और शिक्षा को और बढ़ावा देगा। हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुसार, 2047 तक भारत एक विकसित राष्ट्र बन जाएगा। इस प्रकार जलवायु परिवर्तन और कम उत्पादकता की चुनौतियों का समाधान करने के लिए शिक्षा एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। हमारे युवा छात्रों के साथ-साथ वैज्ञानिकों को भी सभी समस्याओं का मुकाबला करने, नई चीजें सीखने तथा इसका प्रयोग करने के लिए सुसज्जित होने की आवश्यकता है, जो एक मिश्रित शिक्षण पारिस्थितिकी तंत्र के माध्यम से किया जा सकता है।''
डॉ. आर.सी. अग्रवाल, उप महानिदेशक (कृषि शिक्षा), भाकृअनुप ने कहा कि “एनईपी - 2020 और यूएन-एसडीजी के मार्गदर्शन के अनुरूप कृषि उच्च शिक्षा को बढ़ाने का हमारा प्रयास रहा है। सभी कृषि विश्वविद्यालयों की ई-लर्निंग तथा ई-गवर्नेंस एप्लिकेशन तक पहुंच है; उन सभी में स्मार्ट क्लासरूम, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग सुविधाएं और आभासी-वास्तविकता अनुभव प्रयोगशालाएं हैं। छियासी प्रतिशत कृषि विश्वविद्यालयों में अकादमिक प्रबंधन प्रणाली है; 90 प्रतिशत के पास कैंपस में वाई-फाई है और 92 प्रतिशत के पास हाई-स्पीड इंटरनेट कनेक्टिविटी है। इस तरह, आभासी और संवर्धित वास्तविकता का उपयोग करते हुए ई-सामग्री अत्यधिक विशाल है। यहां, लघु एवं दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों सहित मूल्यांकन का डिजिटलीकरण किया गया है।''
विश्व बैंक के वरिष्ठ कृषि अर्थशास्त्री, डॉ. बेकज़ोड शम्सिएव ने कहा कि "राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना (एनएएचईपी) ने लगभग सभी लक्ष्य प्राप्त किए हैं और उनमें से आधे से अधिक महत्वपूर्ण रूप से आगे बढ़े हैं। यहां आने वाले छात्रों की गुणवत्ता बेहतर है, इसमें उनका कट-ऑफ स्कोर अधिक है, स्नातकों की प्लेसमेंट दर अधिक है साथ ही अनुसंधान अधिक प्रभावी है। डॉ. शम्सीएव ने कहा कि “अगली चुनौती डिजिटल शिक्षा को डिजिटल कृषि में बदलने की है। इसके साथ ही सटीक खेती, पर्यावरण निगरानी और कृषि प्रक्रियाओं के स्वचालन को बढ़ावा देने में कृषि विश्वविद्यालयों की महत्वपूर्ण भूमिका रहेगी। इसके द्वारा बेहतर व्यापार प्रणाली और बाजार की जानकारी, लॉजिस्टिक्स की कुशल आपूर्ति श्रृंखला एवं बेहतर नीति निर्माण तथा विनियमन के लिए जानकारी प्रदान करनी चाहिए,"
मिश्रित शिक्षण तथा सीखने में सर्वोत्तम रणनीतियों की पहचान करने के लिए नीचे दिए गए विषयगत क्षेत्रों के करीब 3 - दिवसीय सम्मेलन आयोजित किया जा रहा है:
- मिश्रित शिक्षण के लिए रणनीतियां - सीखना
- मिश्रित शिक्षा के लिए प्रौद्योगिकियां मिश्रित लर्निंग इकोसिस्टम में स्थिरता
- एक मिश्रित प्रशिक्षण - शिक्षण पारिस्थितिकी तंत्र को नेविगेट करने के लिए हितधारकों की क्षमता का निर्माण
- कृषि शिक्षा के लिए समसामयिक पाठ्यक्रम, इत्यादि
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