21 अगस्त, 2023, तिरुचिरापल्ली
भाकृअनुप-राष्ट्रीय केला अनुसंधान केन्द्र (एनआरसीबी) ने 21 अगस्त, 2023 को अपना 30वां स्थापना दिवस एवं किसान मेले का आयोजन किया। यह कार्यक्रम केले के उत्पादन और विपणन प्रौद्योगिकियों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के संबंध में अपनी नई दृष्टि पर केन्द्रित था।
एनआरसीबी के निदेशक, डॉ. आर. सेल्वाराजन ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में इस बात पर प्रकाश डाला कि भाकृअनुप-एनआरसीबी केले पर वैश्विक शोध करता है और फल के लिए एशिया का सबसे बड़ा जीन बैंक बनाया है। पिछले एक दशक में, भाकृअनुप एनआरसीबी ने 60 प्रौद्योगिकियां विकसित की हैं, केले की 6 नई किस्में पेश की हैं, 1000 से अधिक लेख प्रकाशित किए हैं साथ ही इटली और यूरोप सहित विभिन्न देशों में केले निर्यात करने के लिए प्रौद्योगिकियां विकसित की हैं।
एआई-आधारित रोग का पता लगाने और बेसल बीज निलंबित केले के रस पर एक के लिए दो पेटेंट हाल ही में प्रदान किए गए थे। संस्था फ्यूजेरियम विल्ट और केले को प्रभावित करने वाली एक वायरल बीमारी से निपटने के लिए जीन संपादन तकनीक पर भी काम कर रही है।
मुख्य अतिथि, राष्ट्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी, उद्यमिता और प्रबंधन संस्थान (एनआईएफटीईएम-टी), तंजावुर के निदेशक, डॉ. वी. पलानीमुथु ने केले क्षेत्र में सराहनीय अनुसंधान और विकास के लिए भाकृअनुप-एनआरसीबी को शुभकामनाएं दीं।
सम्मानित अतिथि, डॉ. के. अलगुसुंदरम, पूर्व उप-महानिदेशक (एई), भाकृअनुप, वर्तमान एमडी और सीईओ, तमिलनाडु खाद्य प्रसंस्करण और कृषि निर्यात संवर्धन निगम ने बताया कि, हालांकि, कृषि में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और आईओटी-आधारित प्रौद्योगिकियां विकसित की गई हैं, लेकिन कई किसान लागत संबंधी चिंताओं के कारण, विशेषकर छोटे और सीमांत किसान इन्हें अपनाने से झिझक रहे हैं। उन्होंने इन प्रौद्योगिकियों को अपनाने की सुविधा के लिए और अधिक कस्टम हायरिंग केन्द्र स्थापित करने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि कैसे संयुक्त राज्य अमेरिका में पक्षियों को रोकने और कीटनाशकों की आवश्यकता को कम करने के लिए "फाल्कन ड्रोन" जैसी एआई-आधारित प्रौद्योगिकियों का उपयोग किया जाता है।
विशिष्ट अतिथि भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, बेंगलुरु के निदेशक, डॉ. वी. वेंकट सुब्रमण्यम ने भाकृअनुप-एनआरसीबी को उसके स्थापना दिवस पर विशेष शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कृषि उत्पादन में मात्रा, गुणवत्ता, निरंतरता और लागत-प्रभावशीलता के महत्व पर जोर देते हुए केले अनुसंधान एवं संवर्धन प्रौद्योगिकियों में अंतर्दृष्टि साझा की।
विभिन्न हितधारकों की उपलब्धियों को मान्यता देने के लिए, 14 अलग-अलग पुरस्कार प्रदान किए गए, इस कार्यक्रम में पूरे देश से लगभग 1000 प्रतिभागियों ने शिरकत की।
भाकृअनुप-एनआरसीबी, तिरुचिरापल्ली के प्रधान वैज्ञानिक, डॉ. सी. कर्पगम ने स्वागत संबोधन दिया और भाकृअनुप-एनआरसीबी, तिरुचिरापल्ली के प्रधान वैज्ञानिक, डॉ. एम. मयिलवगनन ने धन्यवाद ज्ञापन किया।
(स्रोत: भाकृअनुप-एनआरसीबी, तिरुचिरापल्ली)
फेसबुक पर लाइक करें
यूट्यूब पर सदस्यता लें
X पर फॉलो करना X
इंस्टाग्राम पर लाइक करें