7 अक्टूबर, 2022, , नागथिहल्ली, मांड्या
दक्षिण भारत में नारियल के बागान, पांच साल की अवधि में चार आक्रामक सफेद मक्खी जैसे रगोज सर्पिलिंग व्हाइटफ्लाई, एल्यूरोडिकस रगियोपरकुलैटस, बोंडार नेस्टिंग व्हाइटफ्लाई, पैरालीरोड्स बोंडारी और नेस्टिंग व्हाइटफ्लाई, पैरालेरोड्स मिनी और पाम इन्फेस्टिंग व्हाइटफ्लाई, एल्यूरोट्रेचेलस एट्रेटस के लगातार प्रवेश के कारण खतरे में हैं। सूखा इन सफेद मक्खी की आबादी तथा इसके प्रकोप को बढ़ाने में बड़ा योगदान दिया है।


भाकृअनुप-राष्ट्रीय कृषि संसाधन ब्यूरो, बेंगलुरु ने सक्रिय रूप से आक्रामक कीटों और जैव नियंत्रण प्रौद्योगिकियों के विकास की सूचना दे रहा है। एफेलिनिड पैरासाइटॉइड ततैया के प्राकृतिक परजीविता, एनकार्सिया गुआदेलूपे रगोज़ स्पाइरलिंग व्हाइटफ़्लाइज़ पर और एनकार्सिया क्यूबेंसिस ताड़ पर संक्रमित व्हाइटफ़्लाइज़ की पहचान की गई और इसके संरक्षण के तहत किसानों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए, इसे बायोकंट्रोल करने की रणनीति के रूप में अपनाने की घोषणा की गई। संस्थान ने इन आक्रामक सफेद मक्खियों के खिलाफ एक एंटोमोपैथोजेनिक कवक, इसारिया फ्यूमोसोरोसिया (भाकृअनुप-एनबीएआईआर स्ट्रेन पीएफयू - 5) की जैव नियंत्रण क्षमता को मान्यता प्रदान किया है और अन्य हितधारकों के सहयोग से इन प्राकृतिक शत्रुओं के संवर्धन और संरक्षण पर नियमित प्रशिक्षण, जागरूकता और प्रदर्शन कार्यक्रम आयोजित किया है।
इस श्रृंखला में, भाकृअनुप-एनबीएआईआर ने आज नागथिहल्ली, मांड्या, कर्नाटक में बागवानी विभाग, मांड्या और बागवानी किसान उत्पादक कंपनी, नागथिहल्ली के सहयोग से नारियल में आक्रामक सफेद मक्खियों के प्रबंधन के लिए जैव नियंत्रण रणनीतियों पर किसानों के प्रशिक्षण-सह-प्रदर्शन का आयोजन किया।
डॉ. एस.एन. सुशील, निदेशक, भाकृअनुप-एनबीएआईआर ने अपने संबोधन में इसके संरक्षण के महत्व के बारे में किसानों को जानकारी दी और नारियल में इन आक्रामक सफेद मक्खियों से निपटने के लिए जैविक नियंत्रण लागू किया।
इस कार्यक्रम में नारियल विकास बोर्ड, केन्द्रीय एकीकृत कीट प्रबंधन केन्द्र, भाकृअनुप-एनबीएआईआर और बागवानी विभाग, मांड्या जिले के वैज्ञानिकों और अधिकारियों ने भाग लिया।
किसानों के बीच पैरासिटाइड्स और एंटोमोपैथोजेनिक फंगल फॉर्मूलेशन भी वितरित किए गए।
नागथिहल्ली बागवानी किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) के बोर्ड सदस्यों सहित लगभग 100 किसानों ने कार्यक्रम में भाग लिया।
परजीवी ततैया और इसारिया फ्यूमोसोरोसिया के संरक्षण, उत्पादन और रिहाई की विधि पर एक क्षेत्र प्रदर्शन भी आयोजित किया गया और किसानों को समझाया गया।
(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय कृषि संसाधन ब्यूरो, बेंगलुरु)
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