12 अप्रैल, 2023, हैदराबाद
भाकृअनुप-केन्द्रीय शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद ने आज यहां अपना 39वां स्थापना दिवस मनाया।
समारोह के मुख्य अतिथि, डॉ. टी. महापात्रा, पूर्व. सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) ने अपने स्थापना दिवस व्याख्यान में जलवायु परिवर्तन के मद्देनजर शुष्क भूमि कृषि के जलवायु-प्रूफिंग में आईसीएआर-क्रीडा के योगदान की सराहना की। उन्होंने जलवायु स्मार्ट किस्मों के त्वरित विकास के लिए फसल जर्मप्लाज्म के प्रभावी उपयोग और जीनोम एडिटिंग जैसी उन्नत तकनीकों की खोज का आह्वान किया। उन्होंने स्थायी कृषि के लिए प्राकृतिक संसाधनों के प्रभावी प्रबंधन के माध्यम से शुष्क भूमि कृषि की मौजूदा और आगामी चुनौतियों को दूर करने के लिए 'डिजिटल जलवायु लचीला कृषि' के दृष्टिकोण को अपनाने का आग्रह किया।
डॉ. एस.के. चौधरी, उप महानिदेशक (एनआरएम) ने ऑनलाइन मोड में समारोह की शोभा बढ़ाई और संस्थान द्वारा की गई प्रगति की सराहना की।
डॉ. वी.के. सिंह, निदेशक, सीआरआईडीए ने अपने स्वागत भाषण में सीआरआईडीए की उत्पत्ति के बारे में बताया और आगामी चुनौतियों और अवसरों सहित परियोजना उपलब्धियों, प्रकाशनों, कॉपीराइट, पुरस्कारों आदि सहित शुष्क भूमि अनुसंधान में हुई प्रगति को प्रस्तुत किया।
डॉ. वाई.एस. रामकृष्ण, पूर्व निदेशक, आईसीएआर-क्रीडा ने संस्थान की समृद्ध विरासत के बारे में बात की, जिसने एनपीसीसी, एनएटीपी, एनएआईपी, निक्रा आदि राष्ट्रीय स्तर की परियोजनाओं को आगे बढ़ाने में मदद की है।
अटारी जोन-एक्स के निदेशक डॉ. शैक एन. मीरा ने कहा कि डिजिटल कृषि आगे बढ़ने का रास्ता है।
इस मौके पर आरएसी सदस्य भी मौजूद रहे।
इस अवसर पर, भारत के विभिन्न राज्यों के 36 सर्वश्रेष्ठ नवोन्मेषी किसानों को उत्पादकता और जलवायु लचीलापन बढ़ाने के लिए उनकी नवोन्मेषी कृषि पद्धतियों के लिए सम्मानित किया गया।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय शुष्क भूमि कृषि अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद)
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