भाकृअनुप-राष्ट्रीय मिथुन अनुसंधान केन्द्र ने मेला-सह-प्रौद्योगिकी इंजेक्शन कार्यक्रम का किया आयोजन

भाकृअनुप-राष्ट्रीय मिथुन अनुसंधान केन्द्र ने मेला-सह-प्रौद्योगिकी इंजेक्शन कार्यक्रम का किया आयोजन

14 फरवरी, 2024, अरुणाचल प्रदेश

भाकृअनुप-राष्ट्रीय मिथुन अनुसंधान केन्द्र (एनआरसी मिथुन) ने आज लोथ गांव, निचले सुबनसिरी तथा अरुणाचल प्रदेश में मिथुन पालक किसानों को सशक्त बनाने के लिए मिथुन मेला-सह-प्रौद्योगिकी इंजेक्शन कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम पशुपालन, पशु चिकित्सा एवं डेयरी विकास विभाग, अरुणाचल प्रदेश सरकार और अन्य संबंधित विभाग के सहयोग से आयोजित किया गया था। कार्यक्रम का उद्देश्य, मिथुन पालक किसानों तथा शोधकर्ताओं और सरकारी अधिकारियों के साथ अंतर्दृष्टि, नवाचारों तथा अनुभवों का आदान-प्रदान करने के लिए एक मंच प्रदान कर मिथुन के टिकाऊ उत्पादन विधाओं को बढ़ावा देना था।

ICAR-NRC on Mithun organises Mela-cum-Technology injection programme  ICAR-NRC on Mithun organises Mela-cum-Technology injection programme

मुख्य अतिथि, श्री तबा तेदिर, शिक्षा, सांस्कृतिक मामले एवं स्वदेशी मामले मंत्री, अरुणाचल प्रदेश सरकार ने अरुणाचल प्रदेश में मिथुन प्रथाओं को आगे बढ़ाने में ऐसी पहलों की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया। श्री तेदिर ने मिथुन के उत्पादन पद्धतियों में सुधार के लिए सरकार के समर्थन पर जोर दिया। उन्होंने अरुणाचल प्रदेश में मिथुन के विकास हेतु प्रौद्योगिकी संचार तथा ज्ञान प्रसार के महत्व पर प्रकाश डाला। उपस्थित लोगों ने मिथुन के पालन-पोषण को बढ़ाने के लिए नए ज्ञान का उपयोग करने का संकल्प लिया।

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सम्मानित अतिथि, श्री एस. गुरुंग, एडीसी, याचुली ने किसानों के लिए आय के अवसरों को बढ़ाने के लिए परिचालन को बढ़ाने के महत्व पर जोर दिया। गुरुंग की सलाह ने क्षेत्र में आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए बड़े पैमाने पर मिथुन खेती की संभावना को रेखांकित किया।

मिथुन पर भाकृअनुप-एनआरसी मिथुन के निदेशक, डॉ. गिरीश पाटिल एस. ने मिथुन खेती के व्यवसायीकरण के बारे में बात की, इसकी एफएसएसएआई अनुमोदन और प्रीमियम बाजार क्षमता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कुशल ऑनलाइन मिथुन ट्रेडिंग के लिए एम-अनित्रा ट्रेडिंग ऐप का उपयोग करने की सिफारिश की और जैविक प्रमाणीकरण के महत्व पर जोर दिया। डॉ. पाटिल ने किसानों से राजस्व बढ़ाने के लिए मूल्यवर्धित मांस तथा दूध उत्पादों का पता लगाने का आग्रह किया।

बाद में, मिथुन हितधारकों के बीच सहयोगात्मक चर्चा एवं ज्ञान के आदान-प्रदान को बढ़ावा देने के लिए एक किसान-वैज्ञानिक-पशु चिकित्सा अधिकारी की इंटरफ़ेस बैठक आयोजित की गई। इस इंटरैक्टिव सत्र ने अनुसंधान निष्कर्षों और व्यवहारिक अनुप्रयोगों के बीच अंतर को पाटने में मदद की जिससे मिथुन पालकों के पारिस्थितिकी तंत्र को और बढ़ाया गया।

कार्यक्रम में लगभग 467 मिथुन पालक किसानों ने भाग लिया और कार्यक्रम के दौरान 56 मिथुनों को ईयर टैग किया गया साथ ही एफएमडी के खिलाफ टीका लगाया गया।

(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय मिथुन अनुसंधान केन्द्र, मेडजीफेमा, नागालैंड)

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