भाकृअनुप-राष्ट्रीय सिट्रस अनुसंधान संस्थान, नागपुर ने पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में प्रशिक्षण कार्यक्रम का किया आयोजन

भाकृअनुप-राष्ट्रीय सिट्रस अनुसंधान संस्थान, नागपुर ने पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग जिले में प्रशिक्षण कार्यक्रम का किया आयोजन

9 मई 2023, मूंगपू

भारत की सबसे लोकप्रिय मंदारिन किस्मों में से एक, 'दार्जिलिंग मंदारिन' हाल के दिनों में कम उत्पादन के कारण घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में धीरे-धीरे अपना पुराना गौरव खो रही है। दार्जिलिंग और कलिम्पोंग पहाड़ियों के निचले इलाकों में संतरे का उत्पादन पिछले कुछ वर्षों में काफी गिर गया है और बड़ी संख्या में संतरे के पेड़ों के मरने के बाद किसान वैकल्पिक खेती की तैयारी कर रहे हैं।

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सिनकोना और अन्य औषधीय पौधों के निदेशालय (डीसीओओमपी), मुंगपू, दार्जिलिंग के सहयोग से आज मूंगपू में भाकृअनुप-सीसीआरआई द्वारा 'सिट्रस उत्पादन प्रौद्योगिकी तथा कायाकल्प' पर एक प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया।

डॉ. दिलीप घोष, निदेशक, भाकृअनुप-सीसीआरआई, नागपुर ने दार्जिलिंग मंदारिन के अधिक उत्पादक बागों के लिए उचित वैज्ञानिक देखभाल के साथ-साथ नए बागों की स्थापना के लिए रोग-मुक्त नर्सरी रोपण सामग्री के उपयोग पर जोर दिया। डॉ. घोष ने देश में सिट्रस उद्योग का एक संक्षिप्त विवरण भी प्रस्तुत किया।

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इससे पूर्व, डीसीओएमपी के निदेशक, डॉ. सैमुअल राय ने स्वागत संबोधन दिया।

किसानों के लिए बोर्डो पेस्ट और बोर्डो मिश्रण की उचित तैयारी और उपयोग पर एक फील्ड प्रदर्शन भी आयोजित किया गया। कार्यक्रम में दार्जिलिंग और कलिम्पोंग जिलों के प्रगतिशील किसानों, यूबीकेवी क्षेत्रीय केन्द्र-कलिम्पोंग; केवीके - कलिम्पोंग; डीसीएएमपी - मुंगपू; और राज्य बागवानी विभाग, पश्चिम बंगाल के कर्मचारियों ने भाग लिया।

सीसीआरआई टीम ने लोअर सिटॉन्ग, अपर सिटॉन्ग, छम्बी, लापसीबोटे में स्थित विभिन्न दार्जिलिंग मंदारिन उत्पादक क्षेत्रों का भी दौरा किया और किसानों के साथ बातचीत की और दार्जिलिंग मंदारिन बागों के समग्र सुधार के लिए उठाए जाने वाले कदमों का सुझाव दिया।

बाद में वैज्ञानिकों की टीम ने पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी तथा अलीपुर दुआर जिलों के डुआर्स क्षेत्र में मंदारिन और चूने/ नींबू के बागों का भी दौरा किया और किसानों की समस्याओं के समाधान के उपाय सुझाए।

उत्तर बंग कृषि विश्वविद्यालय (यूबीकेवी), पुंडीबाड़ी, कूच बिहार के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर भी हस्ताक्षर किए गए हैं। यह संयुक्त समझौता/ समझौता ज्ञापन दार्जिलिंग के मंदारिन उत्पादकों को उत्पादकता के कम होने के खतरे को रोकेगा तथा इसे पुनर्स्थापित करने में सहायता करेगा।

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