भाकृअनुप-सीआईएएच बीकानेर ने अर्ध-शुष्क फलों की किस्मों के प्रचार और प्रसार के लिए समझौता ज्ञापन पर किए हस्ताक्षर

भाकृअनुप-सीआईएएच बीकानेर ने अर्ध-शुष्क फलों की किस्मों के प्रचार और प्रसार के लिए समझौता ज्ञापन पर किए हस्ताक्षर

30 सितम्बर, 2023, बीकानेर

जामुन, बेल और चिरौंजी जैसी फलों की फसलें आम तौर पर जंगलों से संग्रहित और फिर आदिवासियों द्वारा आजीविका कमाने के माध्यम के रूप में बाजार में लाई जाती रही हैं। भाकृअनुप-केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान, बीकानेर के वेजाप्लुर, गोधरा के वैज्ञानिकों ने राजस्व सृजन और किसानों की आय बढ़ाने के तरीकों को ध्यान में रखते हुए, इन फसलों की उच्च उपज देने वाली और प्रसंस्करण योग्य फलों की किस्मों को विकसित करने के लिए दीर्घकालीन प्रयोगों की एक श्रृंखला शुरू की है। जंगली प्रकार या स्थानीय किस्मों की तुलना में इन किस्मों ने श्रेष्ठता का प्रदर्शन किया है तथा रोपण सामग्री के साथ-साथ फल उत्पादन दोनों के लिए प्रौद्योगिकियों को अनुकूलित किया गया है। इन किस्मों की बढ़ती लोकप्रियता ने औद्योगिक भागीदारों को आकर्षित किया जिन्होंने प्रौद्योगिकियों के व्यवसायीकरण में रुचि व्यक्त की। इन किस्मों के प्रसार प्रौद्योगिकियों और व्यवसायीकरण को लाइसेंस देने के लिए भाकृअनुप-सीआईएएच ने आज अपने स्थापना दिवस-सह-उद्योग सम्मेलन में औद्योगिक भागीदारों के साथ समझौता ज्ञापन (एमएओ) पर हस्ताक्षर किया।

ICAR-CIAH Bikaner signs MoAs for propagation and dissemination of varieties of semi-arid fruit   ICAR-CIAH Bikaner signs MoAs for propagation and dissemination of varieties of semi-arid fruit   ​​​​ICAR-CIAH Bikaner signs MoAs for propagation and dissemination of varieties of semi-arid fruit

भाकृअनुप-सीआईएएच, बीकानेर और मैसर्स अंबिका एग्रो, आनंद ने बेल की चार किस्मों (गोमायशी, थार दिव्य, थार नीलकंठ और थार सृष्टि), जामुन (गोमा प्रियंका) और चिरौंजी (थारप्रिया) के अधिकृत बड़े पैमाने पर प्रजनन के लिए एक समझौता किया।

एमओए का आदान-प्रदान, डॉ. हिमांशु पाठक, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप) और डॉ. वी.बी. पटेल, सहायक महानिदेशक (फल और रोपण फसलें) की वर्चुअल उपस्थिति में और डॉ. एस.के. गर्ग, कुलपति, राजूवास, बीकानेर की भौतिक उपस्थिति में किया गया।

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भाकृअनुप-सीआईएएच के निदेशक, डॉ. जगदीश राणे ने कहा कि केन्द्रीय बागवानी प्रयोग केद्र, वेजलपुर, पंचमहल 1979 से कम उपयोग वाली फलों की फसलों पर शोध कार्य कर रहा है। अब तक, 24 फलों की फसलों की किस्मों को विकसित किया गया है और शुष्क और अर्ध शुष्क क्षेत्रों में व्यवसायिक खेती के लिए अनुशंसित किया गया है। देश भर में इन किस्मों की रोपण सामग्री की भारी मांग है। हितधारकों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए, इन किस्मों को प्रसंस्करण के लिए विशिष्ट लक्षणों के लिए विकसित किया गया था।

डॉ. ए.के. सिंह, प्रमुख/ प्रभारी, सीएचईएस, वेजलपुर ने कहा कि इन किस्मों का मूल्यांकन वर्षा आधारित गर्म अर्ध-शुष्क परिस्थितियों में किया गया था। बेल की किस्में गोमा यशी, थार दिव्या; जामुन की किस्म गोमा प्रियंका और चिरौंजी किस्म थार प्रिया को राज्य किस्म विमोचन उप-समिति गुजरात राज्य द्वारा 2021 में राज्य स्तर पर जारी किया गया था। इन किस्मों को शुष्क और अर्ध-शुष्क क्षेत्रों में अजैविक तनाव की स्थिति में उगने की क्षमता है। साथ ही इन किस्मों की रोपण सामग्री संस्थान के दिशानिर्देशों के अनुसार तैयार की जाएगी।

जमुना, बेल और चिरौंजी की किस्मों के अधिकृत गुणन के लिए गैर-विशिष्ट लाइसेंस समझौते फर्म को 7 वर्षों के लिए दिया गया था। इस समझौते से भाकृअनुप-सीआईएएच में विकसित प्रौद्योगिकियों का लाभ उपभोक्ताओं और किसानों तक तेजी से पहुंचने की उम्मीद है।

(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय शुष्क बागवानी संस्थान, बीकानेर)

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