6 फरवरी, 2024, मुंबई
महाराष्ट्र सरकार ने भाकृअनुप-केन्द्रीय खारा जल जीवपालन संस्थान (सिबा), मुंबई के तत्वाधान में एक परियोजना 'महाराष्ट्र में जिम्मेदार जलीय कृषि के विस्तार के लिए संभावित क्षेत्रों की भू-स्थानिक मानचित्रण' को वित्त पोषित किया। परियोजना का उद्देश्य, मैंग्रोव और कृषि क्षेत्रों को संरक्षित करते हुए, बहु-उपयोगकर्ता विवाद रहित तथा पर्यावरणीय स्थिरता के साथ जलीय कृषि का विस्तार करना है।
केन्द्रीय वन, सांस्कृतिक मामले एवं मत्स्य पालन मंत्री, श्री सुधीर सच्चिदानंद मुनगंटीवार ने किसानों, मत्स्य पालन और वनों की देखभाल के लिए पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ तरीके से संसाधनों का उपयोग करके महाराष्ट्र में जलीय कृषि विकसित करने के महत्व पर प्रकाश डाला।
भाकृअनुप-सिबा के निदेशक, डॉ. कुलदीप के. लाल ने परियोजना और सिबा प्रौद्योगिकियों के महत्व पर जोर दिया और पर्यावरण-अनुकूल जलीय कृषि विकास का समर्थन करने के लिए मत्स्य पालन विभाग की सराहना की।
मत्स्य पालन आयुक्त, भारतीय प्रशासनिक सेवा, महाराष्ट्र सरकार, डॉ. अतुल पटने ने परियोजना तथा इसके महत्व के बारे में जानकारी दी।
अतिरिक्त प्रधान वन संरक्षक, भारतीय प्रशासनिक सेवा, डॉ. रामो राव ने महाराष्ट्र में मैंग्रोव की सुरक्षा में मैंग्रोव सेल और मैंग्रोव फाउंडेशन की पहल के बारे में बताया।
कार्यक्रम में, भाकृअनुप-सिफे के निदेशक, डॉ. सी.एन. रविशंकर, मत्स्य पालन विभाग के संयुक्त आयुक्त, श्री युवराज चौगुले और मत्स्य पालन विभाग, मैंग्रोव सेल एवं मैंग्रोव फाउंडेशन के अन्य अधिकारियों ने भाग लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय खारा जल जीवपालन संस्थान, चेन्नई)
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