भाकृअनुप-सीबा ने 'सीबा ईएचपी क्यूरा- I' के साई एक्वा के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर किए हस्ताक्षर

भाकृअनुप-सीबा ने 'सीबा ईएचपी क्यूरा- I' के साई एक्वा के साथ समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर किए हस्ताक्षर

6 सितंबर, 2023, चेन्नई

एंटरोसाइटोज़ून हेपेटोपेनेई (ईएचपी) के कारण होने वाली हेपेटोपैंक्रिएटिक माइक्रोस्पोरिडिओसिस (एचपीएम) एक गंभीर बीमारी है जो झींगा उत्पादक किसानों के विकास में बाधा और आर्थिक नुकसान का कारण बनती है।

ICAR-CIBA signed Memorandum of Understanding (MoU) with Sai Aqua of ‘CIBA EHP Cura I’

भाकृअनुप-केन्द्रीय खारा जल मत्स्यपालन संस्थान (सीआईबीए), चेन्नई ने ईएचपी चिकित्सीय पर 5 साल के विशेष शोध के बाद ईएचपी के लिए 'सीबा ईएचपी क्यूरा- I' नाम से एक इलाज विकसित किया है। 'सीबा ईएचपी क्यूरा- I' ईएचपी  के प्रसार को महत्वपूर्ण रूप से नियंत्रित करता है, बैक्टीरिया के भार को कम करता है और झींगा मछली की प्रतिरक्षा, स्वास्थ्य और वृद्धि में काफी सुधार करता है।

भाकृअनुप-सीबा ने 'सीबा ईएचपी क्यूरा- I' प्रौद्योगिकी के क्षेत्र सत्यापन के लिए सहयोगात्मक अनुसंधान के लिए साई एक्वा फीड्स, गुंटूर के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए।

भाकृअनुप-सीआईबके निदेशक, डॉ. कुलदीप के. लाल ने झींगा जलीय कृषि में ईएचपी रोगज़नक़ की गंभीरता और क्षेत्र में ‘सीबा ईएचपी क्यूरा- I’ के महत्व पर प्रकाश डाला।

श्री विजय मारुथा वर्मा, मैसर्स साई एक्वा फीड्स, गुंटूर ने भाकृअनुप-सीबा के साथ अपने सहयोग पर प्रकाश डाला तथा ईएचपी द्वारा इलाज में 'सीबा ईएचपी क्यूरा- I' के प्रदर्शन के साथ अपनी अत्यधिक संतुष्टि व्यक्त की।

(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय खारा जल मत्स्यपालन संस्थान, चेन्नई)

×