21 मार्च, 2023, भुवनेश्वर
भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान (अटारी), कोलकाता ने 21-22 मार्च, 2023 के दौरान भाकृअनुप-सिफा में किसान प्रथम कार्यक्रम की समीक्षा कार्यशाला-सह-क्षेत्र भ्रमण का आयोजन किया।
इन 4 केन्द्रों के सह-पीआई, किसान प्रतिनिधियों, अनुसंधान विद्वानों, क्षेत्र सहायकों के साथ-साथ प्रधान अन्वेषकों ने भाग लिया।
डॉ. पी.के. राउल, कुलपति, ओयूएटी, भुवनेश्वर ने कार्यशाला का उद्घाटन किया। उन्होंने परियोजना के उद्देश्यों को प्राप्त करने के तरीके के बारे में काफी संतोष व्यक्त किया और किसानों को खेती में वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिए संस्थानों के साथ अधिक समन्वय बनाने के लिए प्रेरित भी किया। उन्होंने ओडिशा में एक या दो गांवों को गोद लेने और सभी चार केन्द्रों के प्रयासों को एकजुट करने पर जोर दिया ताकि एक अनुकरणीय मॉडल उभर सके।
डॉ. पी. डे, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी ने परियोजना की स्थिति, इसके कार्यान्वयन के बारे में एक संक्षिप्त टिप्पणी की और सुझाव दिया कि केन्द्रों में प्रजाति प्रतिस्थापन कार्यक्रम कम होंगे और फसल/ पशुधन प्रबंधन हस्तक्षेप अधिक होंगे।
डॉ. ए. सारंगी, निदेशक, भाकृअनुप-आईआईडब्ल्यूएम ने कहा कि किस तरह किसानों के बीच प्रौद्योगिकी का सही तरीके से प्रसार किया जाना चाहिए ताकि उनके द्वारा किए गए प्रत्येक उद्यम में प्रभाव पैदा हो सके।
डॉ. पी.जे. मिश्रा, डीन एक्सटेंशन, ओयूएटी ने अपने संबोधन में कहा कि किसानों के नवाचारों को पहली प्राथमिकता दी जानी चाहिए और उनका दस्तावेजीकरण किया जाना चाहिए।
डॉ. पी. दास, निदेशक (स्वतंत्र प्रभार), भाकृअनुप-सिफा ने भी परियोजना की स्थिरता के बारे में बताते हुए दर्शकों के साथ बातचीत की ताकि उनके समर्थन के बिना भी लंबे समय तक अच्छा काम जारी रहे।
तकनीकी सत्र में एफएफपी ओडिशा के चार केन्द्रों के पीआई ने 2022-23 की प्रमुख उपलब्धियां और 2023-24 की कार्य योजना प्रस्तुत की।
सभी केन्द्रों के किसान प्रतिनिधियों ने परियोजना और इससे जुड़े समर्थन से संतोष व्यक्त किया है और आने वाले वर्षों में परियोजना की स्थिरता के लिए आश्वासन भी दिया है।
बैठक में 55 प्रतिभागियों ने शिरकत की तथा इसका समन्वय डॉ. एच.के. डे ने किया।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय मीठा जल मत्स्यपालन संस्थान, भुवनेश्वर)
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