10 जुलाई, 2023, भुवनेश्वर
भाकृअनुप-केन्द्रीय मीठाजल जीवपालन अनुसंधान संस्थान (सीफा), भुवनेश्वर ने आज अपने कौशल्यागंगा परिसर में राष्ट्रीय मत्स्य कृषक दिवस का आयोजन किया। यह दिवस, वैज्ञानिक, डॉ. के.एच. अलीकुन्ही और डॉ. एच.एल. चौधरी की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने 10 जुलाई, 1957 को कार्प प्रजातियों में से एक का सफलतापूर्वक प्रजनन कराया था। इस युगांतरकारी खोज को यादगार बनाने के लिए पूरे देश में राष्ट्रीय मत्स्य कृषक दिवस का आयोजन किया जाता है। यह खोज, वास्तव में, भारतीय जलकृषि उद्योग में क्रांति ला दी है।
इस अवसर पर डॉ. एन. थिरुमाला नायक, भारतीय प्रशासनिक सेवा, राज्य मिशन निदेशक-सह-सीईओ, मिशन शक्ति विभाग, ओडिशा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। डॉ. नायक ने अपने संबोधन में राष्ट्र को प्रदान की जा रही सेवा के लिए संस्थान की सराहना की और वैज्ञानिकों से महिला किसानों के लिए अनुकूलित प्रौद्योगिकी पैकेज विकसित करने का आह्वान किया। उन्होंने किसानों और स्वयं सहायता समूह के सदस्यों से बेहतर दक्षता के साथ अपने उत्पादन को व्यवस्थित करने का आग्रह किया। डॉ. नायक ने कहा कि स्वयं सहायता समूहों को इस संपन्न उद्यमों में दक्ष होना होगा। साथ ही उन्होंने कहा कि ओडिशा में छह लाख से अधिक स्वयं सहायता समूह हैं, जिन्हें ग्राम पंचायत टैंकों को प्राथमिकता के आधार पर पट्टे पर देने से ओडिशा में मत्स्य पालन काफी तेजी से बढ़ेगा।
इस अवसर पर डॉ. बिमल प्रसन्ना मोहंती, सहायक महानिदेशक (अंतर्देशीय मात्स्यिकी), भाकृअनुप, नई दिल्ली सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उन्होंने जलीय कृषि में लिंग को मुख्यधारा में लाने पर जोर दिया। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि महिलाओं को जलीय कृषि में सक्रिय रूप से शामिल होने की आवश्यकता है क्योंकि ये परिवार के पोषण के साथ-साथ अर्थव्यवस्था को भी सहारा देती है। डॉ. मोहंती ने घरेलू भोजन तथा पोषण सुनिश्चित करने में मत्स्य पालन की भूमिका को रेखांकित किया। उन्होंने जलीय कृषि उद्योग में निर्णायक भूमिकाओं में महिलाओं के अधिक से अधिक प्रतिनिधित्व का आह्वान किया।
इससे पहले, डॉ. प्रमोद कुमार साहू, निदेशक, भाकृअनुप-सीफा ने सभा को संबोधित किया। डॉ. साहू ने कहा कि संस्थान ने आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण मछली और शेलफिश के प्रजनन और संवर्धन; एफआरपी पोर्टेबल हैचरी, फीडर जैसे जलकृषि में प्लास्टिक का उपयोग; मछली के विभिन्न जीवन चरणों के लिए फ़ीड, रोग निदान किट, उन्नत रोहू जयंती, सीफाब्रूडTM, सीफा जीआई स्कैम्पी, जीआई कतला और किसानों के लिए अन्य उपयोगी प्रौद्योगिकियों के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। संस्थान ने वर्चुअल लर्निंग की सुविधा के लिए मत्स्य सेतु ऐप विकसित किया है, जिसके उपयोगकर्ता में इजाफा हो रहा है। भाकृअनुप-सीफा अपने हितधारकों के लिए प्रतिबद्ध है और भारत सरकार के तहत प्रमुख योजनाओं के माध्यम से उन तक पहुंच रहा है।
इस अवसर पर संस्थान के तीन प्रकाशनों का भी विमोचन किया गया।
ओडिशा तथा देश के अन्य हिस्सों से 200 से अधिक किसानों, विशेषकर कृषक महिलाओं, प्रगतिशील किसानों, उद्यमियों एवं सरकारी अधिकारियों ने भाग लिया और संस्थान के जलीय कृषि विशेषज्ञों ने किसानों के सामने आने वाली विभिन्न समस्याओं पर विस्तृत चर्चा की।
विजयवाड़ा, बठिंडा, राहरा और बेंगलुरु स्थित संस्थान के चार क्षेत्रीय अनुसंधान स्टेशनों ने भी इस महत्वपूर्ण दिवस का आयोजन किया।
(स्रोत: भाकृअनुप-सीफा,भुवनेश्वर)
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