1 अप्रैल, 2024, गोवा
भाकृअनुप-केन्द्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान (सीसीएआरआई), गोवा ने आज अपना 35वां स्थापना दिवस मनाया। डॉ. गुरबचन सिंह, पूर्व अध्यक्ष, कृषि वैज्ञानिक भर्ती बोर्ड, नई दिल्ली और अध्यक्ष, गुरबचन सिंह फाउंडेशन फॉर रिसर्च, एजुकेशन एंड डेवलपमेंट, करनाल कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे।
डॉ. सिंह ने वैज्ञानिकों से वर्षा जल संचयन, एकीकृत कृषि प्रणालियों को बढ़ावा देने, मिट्टी के कटाव तथा मिट्टी की लवणता के प्रबंधन, प्राकृतिक आपदाओं पर पूर्व चेतावनी और पूर्वानुमानात्मक अनुसंधान पर काम करने का आग्रह किया। उन्होंने तटीय क्षेत्रों की जैव विविधता को सबसे बड़े अवसर के रूप में भी रेखांकित किया है, जिसका निरंतर उपयोग किया जाना चाहिए। डॉ. सिंह ने कीट एवं रोग प्रबंधन के लिए जैविक और अकार्बनिक कृषि रसायनों के एकीकृत उपयोग पर जोर दिया।
डॉ. परवीन कुमार, निदेशक, भाकृअनुप-सीसीएआरआई, गोवा ने पिछले वर्ष के दौरान संस्थान की उपलब्धियों पर प्रकाश डाला।
डॉ. वी.एस. कोरिकांथिमथ, पूर्व निदेशक, भाकृअनुप-सीसीएआरआई, गोवा ने अपने सम्बोधन में वैज्ञानिकों से भारत के पूर्वी और पश्चिमी तट पर उपस्थिति बनाने के लिए तटीय क्षेत्र में स्थित विभिन्न संस्थानों के साथ सहयोग करने का आग्रह किया।
डॉ. एन. पी. सिंह, पूर्व निदेशक, भाकृअनुप-सीसीएआरआई, गोवा ने उत्कृष्ट कार्य करने के लिए संस्थान के कर्मचारियों की प्रशंसा की। उन्होंने बेहतर कृषि स्थिरता के लिए सुपारी आधारित कृषि प्रणाली (कुलागर) के महत्व पर प्रकाश डाला है।
प्रो. एम.के. जनार्थन, गोवा स्टेट रिसर्च फाउंडेशन के अध्यक्ष ने पूरे भारत के तटीय क्षेत्र में भाकृअनुप-सीसीएआरआई की उपस्थिति का विस्तार करने के लिए तटीय संस्थानों के साथ सहयोग के बारे में बात की।
श्री गोविंदराजू एन.एस., भारतीय प्रशासनिक सेवा, नियंत्रक, मानव अंतरिक्ष उड़ान केन्द्र, बेंगलुरु ने स्पर्श-और-महसूस कृषि के माध्यम से समाज के विशेष वर्ग को मुख्यधारा में लाने के लिए संस्थान के काम को स्वीकार किया।
स्टाफ सदस्यों और प्रगतिशील किसानों को उनके बहुमूल्य योगदान के लिए पुरस्कृत और सम्मानित किया गया।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय तटीय कृषि अनुसंधान संस्थान, गोवा)
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