भारत के राष्ट्रपति भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के 62वें दीक्षांत समारोह में उपस्थित होकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई

भारत के राष्ट्रपति भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के 62वें दीक्षांत समारोह में उपस्थित होकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई

9 फरवरी, 2024, नई दिल्ली

भारत की राष्ट्रपति, श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने आज भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई), नई दिल्ली के 62वें दीक्षांत समारोह में उपस्थित होकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई और उन्हें संबोधित किया।

इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने भारत में खाद्य सुरक्षा हासिल करने में अद्वितीय योगदान दिया है। इस संस्थान ने न केवल कृषि से संबंधित अनुसंधान एवं विकास कार्यों को कुशलतापूर्वक किया है, बल्कि, यह अनुसंधान के सर-ज़मीन तक पहुंच को भी सुनिश्चित किया है। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि इस संस्थान ने 200 से अधिक नई प्रौद्योगिकियां विकसित की है। 2005 और 2020 के बीच, आईएआरआई ने 100 से अधिक किस्में विकसित की है और 100 से अधिक पेटेंट भी उसके नाम हैं।

President of India Graces 62nd Convocation of ICAR-Indian Agricultural Research Institute  President of India Graces 62nd Convocation of ICAR-Indian Agricultural Research Institute

राष्ट्रपति ने कहा कि भारत में एक बड़ी आबादी खेती से जीविकोपार्जन करती है। भारत की जीडीपी में कृषि का भी महत्वपूर्ण योगदान है। इसलिए, यह सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है कि हमारी अर्थव्यवस्था का यह आधार यथासंभव बढ़े और इसमें कोई बाधा न आए। उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि सरकार किसानों की आय बढ़ाने, नई कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने तथा सुचारु रूप से सिंचाई के साधन उपलब्ध कराने के लिए काम कर रही है। सरकार ने किसानों की आर्थिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए सभी फसलों के एमएसपी में उल्लेखनीय वृद्धि की है।

President of India Graces 62nd Convocation of ICAR-Indian Agricultural Research Institute  President of India Graces 62nd Convocation of ICAR-Indian Agricultural Research Institute

राष्ट्रपति ने कहा कि किसानों और कृषि से जुड़ी समस्याओं से हम सभी परिचित हैं। हमारे कई किसान भाई-बहन आज भी गरीबी में जी रहे हैं। किसानों को उनकी उपज का सही मूल्य मिले और वे गरीबी के जीवन से समृद्धि तक पहुंचे, इसके लिए हमें सुनिश्चित रूप से तथा अधिक तत्परता से आगे बढ़ना होगा। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि वर्ष 2047 में जब भारत एक विकसित राष्ट्र के रूप में उभरेगा उस समय तक भारतीय किसान इस यात्रा के अग्रदूत होंगे।

केन्द्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री, श्री अर्जुन मुंडा सम्मानित अतिथि के रूप में उपस्थित हुए।

डॉ. हिमांशु पाठक, सचिव (डेयर) एवं महानिदेशक (भाकृअनुप); श्री संजय गर्ग, अतिरिक्त सचिव (डेयर) एवं सचिव (भाकृअनुप); डॉ. अनुपमा सिंह, डीन एवं संयुक्त निदेशक (शिक्षा); भाकृअनुप-आईएआरआई के संयुक्त निदेशक (अनुसंधान), डॉ. विश्वनाथन चिन्नुसामी और संयुक्त निदेशक (विस्तार), डॉ. रबींद्रनाथ पडरिया भी इस अवसर पर उपस्थित थे।

आईएआरआई के निदेशक, डॉ. ए.के. सिंह ने गेहूं और बासमती चावल की किस्मों में संस्थान की प्रगति के बारे में व्यापक जानकारी प्रदान की।

वर्तमान में, आईएआरआई की गेहूं की किस्में लगभग 9 मिलियन हेक्टेयर में फैली हुई हैं, जो देश के अन्न भंडार में लगभग 40 मिलियन टन गेहूं का योगदान करती हैं। संस्थान द्वारा विकसित गेहूं की किस्में लगभग 13 मिलियन हेक्टेयर के विशाल क्षेत्र को कवर करती हैं, जो सालाना अन्न भंडार में 55 मिलियन टन गेहूं का योगदान करती है, यह आंकड़ा चौंकाने वाला है।

(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, नई दिल्ली)

×