भारत के सबसे बड़े गधों के फार्म "द डोंकी पैलेस" की स्थापना को लेकर एक कहानी सफलता की

भारत के सबसे बड़े गधों के फार्म "द डोंकी पैलेस" की स्थापना को लेकर एक कहानी सफलता की

श्री यू. बाबू, वन्नारपेट के एक संपन्न उद्यमी, भारत के सबसे बड़े गधों के फार्म की स्थापना और कुछ कॉस्मेटिक निर्माण कंपनियों के लिए मादा गधे के दूध के विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में जाने जाते हैं। स्कूल ड्रॉपआउट होने के बावजूद, श्री बाबू की अटूट उद्यमशीलता की भावना ने उन्हें सफलता के लिए प्रेरित किया, जिसके कारण वे उद्योग में एक प्रतिष्ठित व्यक्ति बन कर उभरे।

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श्री बाबू की टीम ने भाकृअनुप-नेशनल रिसर्च सेंटर ऑन इक्वाइन्स (एनआरसीई) के उद्यमिता विकास कार्यक्रम में भाग लिया, जहां उन्होंने गधों और गधों की पालने के बारे में तकनीकी जानकारी प्राप्त की। इसके अलावा, भाकृअनुप-एनआरसीई ने श्री बाबू को गधा फार्म "द डोंकी पैलेस" स्थापित करने के लिए कुलीन पोटू गधों की एक खास नस्ल को पालने की सुविधा भी प्रदान की। तमिलनाडु में गधों की सीमित संख्या से उत्पन्न चुनौतियों के बावजूद, प्रत्येक दूध देने वाली मादा गधे छह महीने तक प्रतिदिन एक लीटर से कम दूध देने में सक्षम है, उनके दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत का लाभ मिला और इसके माध्यम से उन्होंने खुद को एक सफल उद्यमी के रूप में स्थापित किया।

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वर्तमान में, श्री बाबू ने 75 से अधिक फ्रेंचाइजी फार्मों के साथ इसके फ्रैंचाइजी मॉडल के माध्यम से लगभग 5000 गधों का प्रबंधन करते हुए भारत के सबसे बड़े गधों के फार्म के मालिक हैं। उन्होंने "द डोंकी पैलेस," वन हेल्थ - वन सॉल्यूशन - एक संरक्षण, मनोरंजन और जागरूकता केन्द्र भी स्थापित किया है, जिसका उद्देश्य गधों के मूल्य को बढ़ाने के साथ-साथ समाज तथा अर्थव्यवस्था में इसके योगदान को बढ़ावा देना है।

द डोंकी पैलेस के उत्पादों में मादा गधे का ताजा दूध, इसके दूध का मिल्क पाउडर; गधे का गोबर उर्वरक के रूप में प्रयोग किये जाने के साथ-साथ सिद्ध दवाओं और फार्मा उद्योग के लिए आसुत गधे का मूत्र का उपयोग किया जाना है। श्री बाबू की दृष्टि देसी गधों की नस्ल को संरक्षित करना, उनकी स्थिति को बढ़ाना, गधों का संरक्षण तथा समाज में गधों की निराशावादी धारणा को खत्म करना है।

श्री बाबू की सफलता हर जगह युवा उद्यमियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है और वे अपने सभी प्रयासों में उत्कृष्टता के लिए कार्यरत रहते हैं। मादा गधे का दूध, अपने उच्च पोषण तथा चिकित्सीय मूल्य के साथ, दुनिया भर में लोकप्रियता प्राप्त कर रहा है तथा उनके अग्रणी काम ने तमिलनाडु को इस उभरते हुए उद्योग में मानचित्र पर ला खड़ा किया है।

(स्रोत: भाकृअनुप-राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केन्द्र, हिसार)

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