डॉ. कलाम ने कृषि में सतत् विकास के लिए अनुसंधान मिशन का सुझाव दिया
नई दिल्ली, 16 जुलाई 2012
भारत रत्न डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम, भारत के पूर्व राष्ट्रपति ने कहा “केवीके के सहयोग और अनुसंधान के माध्यम से छोटे और सीमांत किसानों को एकजुट होकर अपने क्षेत्रों में ग्रामीण सहकारी समितियों का गठन करने की जरूरत है, जिससे कृषि प्रसंस्करण सहित एकीकृत खेती की जा सकेगी और मूल्य वर्धित उत्पाद तैयार होगा। साथ ही इससे सबसे निचले स्तर के किसानों की राजस्व कमाने की क्षमता भी बढ़ेगी।”
डॉ. कलाम भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के 84 वें स्थापना दिवस तथा पुरस्कार समारोह में पर व्याख्यान दे रहे थे। उन्होंने खाद्यान्न में भारत को आत्मनिर्भर राष्ट्र के रुप में बदलने के लिए उन्होंने आईसीएआर को बधाई दी और विकास को तेज करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (2012-2030) में अनुसंधान मिशन लागू करने की सलाह दी जिससे कृषि में 10% की वृद्धि दर हासिल करना संभव है। डॉ. कलाम ने आठ अनुसंधान मिशन का सुझाव दिया, जिसमें छोटे और सीमांत किसानों के लिए कृषि पद्धतियों का विकास, प्राकृतिक संसाधनों का विश्लेषण व मानचित्रण और सभी कृषि प्रौद्योगिकी का रिकार्ड तथा प्रसार शामिल हैं। उन्होंने कहा कि आईसीएआर एक संगठनात्मक विकास मिशन के रूप में इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक समेकित तंत्र विकसित कर सकता है।
श्री शरद पवार, कृषि एवं खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंतरी समारोह के मुख्य अतिथि थे। उन्होंने देश की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के योगदान की प्रशंसा की, पुरस्कार विजेताओं को बधाई दी और आशा व्यक्त की कि यह पुरस्कार वितरण अन्य संबंधितों को उत्कृष्टता प्राप्त करने की दिशा में कड़ा प्रयास करने के लिए प्रेरित करेगा। श्री पवार ने कहा कि गरीबों के लिए सहायक कृषि अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए यह जरूरी है कि दोनों, निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के अनुसंधान और विकास संगठन, संसाधनों की पूलिंग पर ध्यान केंद्रित करें और सहयोग दोहन के लिए मिलकर काम करते रहें।
श्री हरीश रावत, केंद्रीय कृषि, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग और संसदीय मामलों के राज्य मंत्री और सम्मानित अतिथि ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की ऐसी उपलब्धियों का सविस्तार विवरण दिया जिन्होंने विभिन्न कृषि जिंसों के उत्पादन में एक लंबी छलांग के लिए मार्ग प्रशस्त किया है। उन्होंने कहा कि ज्ञान और कौशल को ग्रामीणों की क्षमता निर्माण का वाहक बनाने के लिए व्यावसायिक शिक्षा का सहारा लेना उपयुक्त है।
डॉ. चरण दास महंत, केंद्रीय कृषि और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री और सम्मानित अतिथि ने आशा व्यक्त की कि कृषि प्रौद्योगिकी के विकास और प्रसार से कृषि उत्पादन और किसानों की लाभप्रदता को बढ़ाने में सहायता मिलेगी। उन्होंने मूल्यवान कृषि उपज के अनुचित नुकसान के लिए अपनी चिंता व्यक्त की और द्वितीयक कृषि को प्राथमिकता देकर इसके नुकसान से बचने का सुझाव भी दिया।
श्री पवार, श्री रावत और डॉ. महंत ने आईसीएआर पुरस्कार 2011 में 16 विभिन्न श्रेणियों के तहत, 83 विजेताओं को पुरस्कार दिया। इसमें तीन संस्थाएं एक एआईसीआरपी, 9 कृषि विज्ञान केन्द्र, 9 किसान, एक पत्रकार, 4 शिक्षक, और 56 वैज्ञानिक शामिल हैं। 56 वैज्ञानिकों में 5 महिला वैज्ञानिक भी हैं।
गणमान्य अथितियों ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के ज्ञान और सूचना उत्पादों का प्रिंट और डिजिटल दोनों स्वरूपों में विमोचन किया।
इससे पहले, डॉ. एस. अय्यप्पन, सचिव, डेयर और महानिदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने गणमान्य व्यक्तियों, अतिथियों, पुरस्कार विजेताओं और प्रतिभागियों का स्वागत किया और अनुसंधान एवं विकास का एक संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत किया। साथ ही भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए आईसीएआर की तैयारियों पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने 12वीं योजना के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के नवीन दृष्टिकोण को भी इंगित किया।
संसद सदस्य, भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों, प्रसिद्ध कृषि विशेषज्ञों, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद तथा अन्य संबंधित संगठनों के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस समारोह में भाग लिया।
डॉ. रविन्द्र कुमार, सहायक महानिदेशक (टीसी) ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया।
(स्रोत- एनएआईपी मास मीडिया परियोजना, कृषि ज्ञान प्रबंध निदेशालय, आईसीएआर)
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