13 सितंबर, 2023, मुंबई
भाकृअनुप-केन्द्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान, मुंबई ने आज राष्ट्रीय कृषि उच्च शिक्षा परियोजना (एनएएचईपी) के तत्वावधान में "भविष्य के लिए डायग्नोस्टिक्स: एक्वाकल्चर में प्रिसिजन डायग्नोस्टिक्स" पर एक अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला का उद्देश्य जलीय खाद्य उत्पादन की वैश्विक मांगों को पूरा करने के लिए जलीय कृषि क्षेत्र की स्थिरता और सुरक्षा को बढ़ाने के लिए जलीय पशु स्वास्थ्य प्रबंधन में सटीक निदान, इसके महत्व और निष्पादन को चित्रित करना था।
डॉ. सी.एन. रविशंकर, निदेशक और कुलपति, ने कहा कि बढ़ती आबादी की खाद्य सुरक्षा को पूरा करना और गुणवत्तापूर्ण मछली उत्पादन को सुरक्षित करना जलीय कृषि क्षेत्र में विशिष्ट, संवेदनशील तथा तीव्र रूप से रोगों के निदान पर निर्भर करता है।
डॉ. पी.के. साहू, निदेशक, भाकृअनुप-केन्द्रीय मीठाजल मत्स्य पालम संस्थान, भुवनेश्वर कार्यशाला के अध्यक्ष थे और उन्होंने उपयुक्त चिकित्सीय विकास एवं मछली उत्पादन बढ़ाने के लिए आवश्यकता-आधारित सटीक निदान विकसित करने की शर्त पर जोर दिया।
डॉ. एन.पी. साहू, संयुक्त निदेशक और प्रधान अन्वेषक, एनएएचईपी ने स्वास्थ्य प्रबंधन के लिए पॉइंट-ऑफ-केयर अनुप्रयोगों और प्रौद्योगिकियों में सटीक निदान और गहन नवाचारों के महत्व पर जोर दिया।
डॉ. अरुण के. धर, प्रोफेसर और निदेशक, एक्वाकल्चर पैथोलॉजी लेबोरेटरी, स्कूल ऑफ एनिमल एंड कम्पेरेटिव बायोमेडिकल साइंसेज, एरिज़ोना विश्वविद्यालय ने "झींगा की जलीय कृषि में महामारी रोग को रोकने के लिए रोगज़नक़ की खोज को व्यवस्थित करने में गति लाने" पर व्याख्यान दिया।
कार्यशाला में कुल 154 प्रतिभागियों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।
(स्रोत: भाकृअनुप-केन्द्रीय मात्स्यिकी शिक्षा संस्थान, मुंबई)
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