1 जून, 2023, लुधियाना
भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, लुधियाना ने आज "उत्तर-पश्चिमी भारत में प्राकृतिक खेती के कार्यान्वयन में चुनौतियाँ और समाधान" पर विचार-मंथन बैठक का आयोजन किया। बैठक का उद्देश्य कुशल और व्यावहारिक रूप से एक व्यवहार्य समाधानों की पहचान करना तथा एक रोडमैप विकसित करना था, इसमें पहला अनिवार्य गतिविधियों के बेहतर कार्यान्वयन के लिए और दूसरा प्राकृतिक खेती के लिए अभिनव एवं कुशल सहकारी/ डिजिटल/ प्रत्यक्ष विपणन मॉडल का पता लगाना था।
मुख्य अतिथि, डॉ. राजेश्वर चंदेल, कुलपति, वाईएसपीयूएचएफ, सोलन ने हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती की स्थिति, कार्यक्षेत्र, चुनौतियों और अनिवार्यता के बारे में बात की और आगे का रास्ता सुझाया। उन्होंने दलहन तथा तिलहन उत्पादन में आत्मनिर्भरता के माध्यम से भारतीय कृषि में क्रांति लाने, खाद्य टोकरियों में विविधता लाने, वन हेल्थ को साकार करने, खेत से रेस्टोरेंट तक आपूर्ति श्रृंखला प्रक्रिया का अनुकूलन करने आदि के लिए माननीय प्रधानमंत्री की प्रतिबद्धताओं पर फिर से विचार किया। उन्होंने प्राकृतिक खेती की जानकारी दी। प्राकृतिक उत्पाद का हिमाचल सरकार द्वारा कार्यान्वित उत्पादन प्रमाणन प्रक्रिया में पारदर्शिता तथा वास्तविक स्थिति का पता लगाने की क्षमता के के बारे में बताया। उन्होंने प्रतिभागियों से प्राकृतिक खेती को लोकप्रिय बनाने के लिए धीमे लेकिन स्थिर प्रयास सुनिश्चित करने का आग्रह किया।
सम्मानित अतिथि, डॉ. हरिओम, राज्य प्रशिक्षण सलाहकार प्राकृतिक खेती, हरियाणा ने प्राकृतिक खेती को 'सूक्ष्मजीवों की खेती' करार देते हुए पानी, मिट्टी तथा जलवायु की गतिशीलता के बारे में बताया। उन्होंने प्राकृतिक खेती से बेहतर उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए न्यूनतम/ शून्य जुताई या संरक्षण कृषि के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने भाग लेने वाले वैज्ञानिकों और किसानों से आग्रह किया कि वे प्राकृतिक खेती करने वाले क्षेत्रों में जैविक एवं अजैविक विकास की समझ को गहराई से समझें।
डॉ. परवेंद्र श्योराण, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी, लुधियाना ने ज़ोन के केवीके द्वारा कार्यान्वित प्राकृतिक कृषि परियोजना की गतिविधियों और प्रगति के बारे में जानकारी दी। उन्होंने प्राकृतिक खेती को लोकप्रिय बनाने के लिए आवश्यक स्पष्ट रणनीति एवं दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने बेहतर कार्यान्वयन और अनुभवजन्य डेटा उत्पन्न करने के लिए सभी हितधारकों के साथ मिलकर काम करने पर जोर दिया। डॉ. श्योराण ने प्राकृतिक खेती से उपज के लिए उचित बाजार सुनिश्चित करने को एक तंत्र विकसित करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।
भाकृअनुप अटारी लुधियाना में प्राकृतिक कृषि परियोजना के नोडल अधिकारी, डॉ. राजेश के राणा ने छोटे किसानों द्वारा प्राकृतिक उत्पाद बेचने के लिए लघु विपणन श्रृंखलाओं तथा प्रत्यक्ष विपणन विकल्पों के महत्व के बारे में बात की।
भाकृअनुप, नई दिल्ली में प्राकृतिक कृषि परियोजना के समन्वयक डॉ. केशव ने किसानों के प्राकृतिक खेती में चरणबद्ध परिवर्तन की आवश्यकता एवं इसकी विधिवत पर प्रकाश डाला।
कृषि विस्तार विभाग, भाकृअनुप के विशेषज्ञों सहित लगभग 80 प्रतिभागी; पीएयू, लुधियाना; वाईएसपीयूएचएफ, सोलन; जोन-I के केवीके के प्रमुख तथा वैज्ञानिक; उत्कृष्ट प्राकृतिक किसानों, गैर सरकारी संगठनों, उद्योग भागीदारों, एफपीओ/ एफपीसी और आयोजन संस्थान के वैज्ञानिकों ने इस बैठक में भाग लिया।
चर्चा के दौरान, प्राकृतिक उपज के उत्पादन और विपणन की प्रक्रियाओं में प्राकृतिक खेती अपनाने वाले किसानों के सामने आने वाली समस्याओं की एक विस्तृत श्रृंखला पर विस्तार से चर्चा की गई। स्वदेशी तकनीकी ज्ञान के आधार पर प्राकृतिक खेती को नुकसान पहुचाने वाले जानवर दैसे चूहों, गिलहरी, आदि की समस्या के समाधान के लिए परीक्षण तथा सत्यापन के लिए काफी प्रभावी समाधान की पहचान की गई। क्षेत्र के विभिन्न भागों में मल्च सामग्री की कमी के कारण आगे के वैज्ञानिक अध्ययन के लिए विकल्पों की पहचान की गई। केवीके और गैर सरकारी संगठनों की मदद से परीक्षण के लिए विपणन विकल्पों और मॉडलों की एक श्रृंखला का चयन किया गया था।
(स्रोत: भाकृअनुप-कृषि प्रौद्योगिकी अनुप्रयोग अनुसंधान संस्थान, लुधियाना)
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