3- 4 जनवरी, 2025, पटना
भाकृअनुप-पूर्वी क्षेत्र अनुसंधान परिसर, पटना, बिहार में 3- 4 जनवरी, 2025 तक ‘चावल के परती क्षेत्रों को हरा-भरा बनाने के लिए रणनीति तथा दृष्टिकोण’ पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्देश्य टिकाऊ फसल गहनता के लिए एक मॉड्यूल का निर्माण करते हुए चावल के परती क्षेत्रों के प्रबंधन के लिए रणनीति और दृष्टिकोण तैयार करना था।
मुख्य अतिथि, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन, भाकृअनुप के उप-महानिदेशक, डॉ. एस.के. चौधरी ने चावल के परती क्षेत्रों में छोटे तथा सीमांत किसानों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक एकीकृत और बहु-विषयक दृष्टिकोण अपनाने की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने भूमि डिजिटलीकरण, ग्राम-स्तरीय संस्थाओं के जुड़ाव तथा भूजल क्षमता और इसके उपयोग के बीच अंतर को कम करने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने चावल के परती क्षेत्रों में न्यूनतम मिट्टी की गड़बड़ी, अवशेष प्रबंधन तथा खरपतवार नियंत्रण जैसी नवीन संसाधन संरक्षण तकनीकों को अपनाने का भी आग्रह किया।
भाकृअनुप-आरसीईआर, पटना के निदेशक, डॉ. अनूप दास ने भाकृअनुप-कृषि विज्ञान केन्द्रों की भागीदारी के माध्यम से बिहार, झारखंड तथा छत्तीसगढ़ में 1000 हैक्टर से अधिक चावल की बंजर भूमि को हरा-भरा बनाने में संस्थान की गतिविधियों को साझा किया। उन्होंने दालों और तिलहनों की मांग-आपूर्ति के अंतर को पाटने, आत्मनिर्भरता में योगदान देने और पूर्वी क्षेत्र में किसानों की आय में सुधार करने के लिए इन हस्तक्षेपों की क्षमता पर जोर दिया।
गणमान्य व्यक्तियों ने मिट्टी की नमी के आधार पर चावल की परती भूमि व्यवस्था को प्राथमिकता देने के साथ-साथ उत्पादकता बढ़ाने के लिए जलवायु-प्रतिरोधी दालों/ तिलहन जैसी स्थायी प्रथाओं को अपनाने पर जोर दिया। उन्होंने एकीकृत जल प्रबंधन, वर्षा जल संचयन एवं जलवायु-स्मार्ट कृषि पर प्रकाश डाला। विशेषज्ञों ने चावल की परती भूमि को हरा-भरा बनाने के लिए मान्य तकनीक विकसित करने के लिए एजेंसियों द्वारा बहु-स्थानीय क्षेत्र परीक्षणों के साथ-साथ फसलों, पशुधन और सामाजिक-आर्थिक गतिविधियों को शामिल करने वाले एकीकृत दृष्टिकोण का भी आह्वान किया।
चावल के परती क्षेत्रों के प्रगतिशील किसानों ने भी चावल परती प्रबंधन पर अपने विचार साझा किया। इस कार्यक्रम में ई-रिक्शा (स्वर्ण रथ), एक स्मार्ट जल प्रबंधन मॉडल और चावल के परती क्षेत्र के लिए नवीन तकनीकों पर एक प्रदर्शनी का उद्घाटन किया गया। 4 जनवरी, 2025 को गया जिले के गुलेरियाचक गांव में दलहन एवं तिलहन के लिए एक फील्ड डे आयोजित किया गया, जिसमें 100 से अधिक किसानों ने भाग लिया। "पूर्वी भारत में चावल के परती क्षेत्रों को हरा-भरा बनाने" पर एक तकनीकी बुलेटिन जारी किया गया साथ ही आईएआरआई, पटना हब के छात्रों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया।
कार्यक्रम का समन्वय, आयोजन समिति के साथ-साथ आयोजन सचिव, डॉ. राकेश कुमार ने किया।
कार्यशाला में कुल 100 प्रतिभागियों ने शिरकत की।
(स्रोत: भाकृअनुप-पूर्वी क्षेत्र अनुसंधान परिसर, पटना, बिहार)
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