चावल के स्थान पर मक्का अच्छा विकल्प

चावल के स्थान पर मक्का अच्छा विकल्प

24 सितंबर, 2023, करनाल

भाकृअनुप-भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान, लुधियाना, सिमिट (मेक्सिको) और भाकृअनुप-केन्द्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान, करनाल ने सीसीएसएचएयू, हिसार तथा राज्य कृषि विभाग, हरियाणा सरकार के सहयोग से आज राज्य स्तरीय मक्का दिवस का आयोजन किया।

Maize as good option for rice replacement  Maize as good option for rice replacement

मुख्य अतिथि, सहायक महानिदेशक (बीज) डॉ. डी.के. यादव ने किसानों से प्राकृतिक संसाधनों को बचाने और कृषि लाभप्रदता बढ़ाने के लिए मक्का उगाने का आग्रह किया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मक्का-सरसों-मूंग प्रणाली उन्नत पोषण सुरक्षा और मिट्टी के स्वास्थ्य के साथ कृषि लाभप्रदता ला सकती है। डॉ. यादव ने चर्चा की कि सार्वजनिक क्षेत्र के संकर गुणवत्ता वाले बीजों की उपलब्धता बढ़ रही है जो किफायती हैं। उन्होंने पानी की समस्या के समाधान के लिए इस पारिस्थितिकी में गंभीरता से सोचने और चावल की वैकल्पिक फसलें उगाने पर भी जोर दिया। डॉ. यादव ने खाद्य और पोषण सुरक्षा के लिए उच्च लाइसिन, ट्रिप्टोफैन और प्रोविटामिन ए वाले बायो फोर्टिफाइड मक्का के महत्व पर प्रकाश डाला।

भाकृअनुप-आईआईएमआर के निदेशक, डॉ. एच.एस. जाट ने लाभकारी बाजार कीमतों को एक चुनौती बताते हुए इथेनॉल उत्पादन की उपलब्धता में सुधार के लिए मक्का उत्पादन में वृद्धि की तत्काल आवश्यकता पर प्रकाश डाला, जिसे नीतिगत हस्तक्षेप के माध्यम से संबोधित किया जा सकता है।

भाकृअनुप-सीएसएसआरआई के निदेशक, डॉ. आर.के. यादव ने इस बात पर जोर दिया कि मक्का आधारित प्रणाली से टिकाऊ मृदा संसाधनों को सुनिश्चित किया जा सकता है।

सिमिट के प्रधान वैज्ञानिक, डॉ. महेश गठाला ने संरक्षण कृषि एवं फसल विविधीकरण सहित भूजल दोहन को कम करने की रणनीतियों पर प्रकाश डाला।

डॉ. आदित्य डबास, डीडीए, करनाल ने आगामी सीजन में फसल अवशेष न जलाने का आग्रह किया और किसानों से ऐसा न करने पर सरकार द्वारा दिए जाने वाले विभिन्न लाभ को प्राप्त करने का आग्रह किया।

इस क्षेत्र के किसान मक्के के लिए सुनिश्चित विपणन और लाभकारी कीमतों को लेकर चिंतित हैं, लेकिन उनका मानना है कि भाकृअनुप - सिमिट प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध तकनीक, चावल का अच्छा विकल्प हो सकता है। उनका मानना है कि किसानों को सर्वोत्तम प्रबंधन पद्धतियों और इनपुट, मशीनरी तथा इसे खरीदने के लिए उपलब्धता सहित पूरे पारिस्थितिकी तंत्र पर मार्गदर्शन करना, मक्का की खेती के लिए महत्वपूर्ण है।

सरकार ने 2025- 26 तक इथेनॉल उत्पादन के लिए 14 मिलियन टन से अधिक मक्के की मांग को पूरा करने की गति निर्धारित की है, जिसका लक्ष्य पेट्रोल में 20% इथेनॉल मिश्रण को पूरा करना है। हालांकि, चारा, स्टार्च और मूल्य-संवर्धन उद्योगों में इसके वर्तमान उपयोग के कारण मक्का का उत्पादन अपर्याप्त है।

कार्यक्रम में हरियाणा और पंजाब के विभिन्न जिलों से 380 किसानों ने भाग लिया, इसमें 60 महिला किसान भी शामिल थीं।

(स्रोत: भाकृअनुप-भारतीय मक्का अनुसंधान संस्थान, लुधियाना)

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